अखिलेश सैनी
बलिया। आतंकी हमले में शहीद राजेश यादव का पैतृक गांव आज भी खामोश है। गांव की गलियों में जहां सूनापन दिख रहा है, वहीं स्कूल से बच्चे नदारद है। यदि गांव में कुछ सुनाई दे रही है तो सिर्फ शहीद के परिजनों की करूण, क्रंदन व चीत्कार। वहीं, शहीद की दोनों मासूम बेटियों को आज भी पापा के आने का इंतजार है। बूढ़ी मां की आंखें सूख गयी है। पत्नी अवाक है। नादान बेटियों को देखकर उसके रोंगटें खड़े हो जा रहे है।
18 सितम्बर को कश्मीर के उरी में आतंकी हमले में शहीद हुए राजेश कुमार यादव की शहादत को लोग नहीं भुल पा रहे है। शहीद के परिजनों से मिलने पहुंच रहे नेता, अधिकारी व अन्य लोगों को देखकर शहीद के परिजन अपने आपको नहीं रोक पा रहे है। उनके आंसूओं को पोछने के लिए लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। वहीं, शहीद की बेटी प्रीति व राधिका अपने पिता की राह देख रही है। गांव के लोगों को ही नहीं, बल्कि परिवार के लोगों को भी यह विश्वास नहीं हो रहा है कि उनका बेटा राजेश कुमार यादव उनके बीच नहीं है। घर के मुख्य द्वार लिखा शहीद राजेश कुमार यादव का नाम पढ़कर लोगों के आंखों से आंसू टपक रहे है। उधर, कश्मीर के उरी सेक्टर पर हुए आतंकी हमले में राजेश यादव के भी शहीद होने से दुबहर क्षेत्र के युवाओं में पाकिस्तान के प्रति आक्रोश है। घोड़हरा बाजार स्थित मां जौहरी मंदिर से छात्रनेता अजीत कुमार के नेतृत्व में युवक पाकिस्तान विरोधी नारा लगाते हुए एनएच-31पर पहुंचे और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का प्रतीकात्मक पुतला फूंका। साथ ही पाकिस्तान का झंडा जलाकर अपने गुस्से का इजहार किया। कैंडिल जलाकर शहीद राजेश के घर पहुंचे।