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सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्या केन्द्रों में नहीं मिल पा रही मरीजों को उचित सुविधाएँ, प्रशासन मौन

फारूख हुसैन
लखीमपुर (खीरी) पलिया कलां // निघासन –  इन दिनों काफी चर्चे में है निघासन का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परंतु बहुत जल्द ही हमारी पलिया कलां का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चर्चे में आने वाला है कारण मरीजों को उचित सुविधाएँ मिलना क्षेत्र वासियों के लिए  बिल्कुल सपना बनकर ही रह गया है कारण मरीजों को चिकित्सालय में दवाये होने के बावजूद उपलब्ध नहीं करवाई जाती है और उनसे बाहर से दवाएँ मंगवाई जाती हैं कारण मोटा कमीशन  ।और एक ओर निघासन का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में  भी कुछ ऐसा ही हो रहा है  वहाँ  मरीजों को वो सुविधा नहीं मिल पा रही है जो सरकार ने हर अस्पताल में उपलब्ध कराई गयी हैं।

निघासन सी.एच.सी प्रभारी ने कभी अस्पताल में वो सुविधाएं मरीजों को नहीं उपलब्ध करायी जो सरकार ने हर अस्पताल को दी हैं  और मुख्य चिकत्सािधिकारी ने भी ऐसे अस्पतालों की तरफ मुड़ के भी नहीं देखा शायद यही कारण है कि इन दिनों  निघासन सी.एच.सी में कोई सुविधाएँ मरीजों को नहीं मिल रही हैं।
बताते चले की निघासन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में  बीते दिनों निघासन क्षेत्र के  विधायक के.जी पटेल ने औचक निरक्षण किया था और अस्पताल में व्याप्त गंदगी और मरीजों को सरकार ने जो सुविधा दी है उन तक न पहुचना इन सब चीजों को देख कर विधायक ने सी.एच.सी प्रभारी पे काफी नाराजगी जताई थी परंतु  विधायक की नाराजगी का सी.एच.सी प्रभारी पर कोई खाशा असर देखने को नहीं मिल रहा है वो अपने ही ऑफिस में बैठ कर पूरा दिन बिता देते है उन्हें अस्पताल में दर्द से तड़प रहे मरीजों का ध्यान नहीं आता।
जानकारी  के अनुसार  मरीजों को इतनी गर्मी में भी बिना पंखों के ही रहना पड़ता है क्यों कि उनको चलाने में कोई जहमत ही नही करता और न तो अस्पताल में जगनेटर चलाया जाता है और न ही अस्पताल में बिजली का कुछ अता पता है अस्पताल के आस पास व्याप्त गंदगी और खड़ी बड़ी बड़ी घास अस्पताल की दशा को दूर से ही दर्शाती है।
निघासन सी.एच.सी में प्रसव के दौरान महिलाओं को जमीन में पड़े रहना पड़ता है न ही उन्हें कोई ओढ़ने और बिछाने के लिए चादर दी जाती है और न ही उनसे उनकी हालत को कोई आशा या डॉक्टर पूछने आता है जिससे महिलाओं को काफी दिक्कतें होती है परंतु  उनकी इन परेशानियों को समझने का सी.एच.सी प्रभारी के पास वक्त नहीं है जिससे मरीजों और तीमार दारों को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है परंतु प्रशासन इस ओर ध्यान ही नहीं देना चाहता।
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