समय-समय पर विस्तारीकरण के बाद यह क्रेडिट अगस्त 2015 में गारंटी की सीमा को पार कर गयी,जिस पर कम्पनी द्वारा 31 दिसम्बर 2015 तक कुल सकल72 लाख 94 हजार 120 रुपये का बकाया दिखाते हुए जमा करने की बात की गयी। लेकिन फर्म की तरफ से कोई जबाब नहीं मिला, लेकिन बैंक द्वारा गारंटी अस्तित्व में न होने की दी गयी सूचना पर कम्पनी के उप प्रबंधक ने अदालत में कम्पलैंड एफआरआई कर न्याय मांगा। इसकी सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दयाशंकर सिंह व उनके भाई सहित कुछ अन्य लोगों को दोषी मानते हुए सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश 09 सितम्बर को निर्गत किया। एसओ कोतवाली डीके श्रीवास्तव ने बताया कि यह मुकदमा 09सितम्बर को ही पंजीकृत कर लिया गया है। उधर, धर्मेन्द्र सिंह का कहना है कि कम्पनी द्वारा जो तथ्य प्रस्तुत किया गया है वह न सिर्फ निराधार, बल्कि मनगढंत है। हमारे या दयाशंकर सिंह के द्वारा किसी भी बैंक से गारंटी सम्बंधी मांग पत्र आज तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। उस फर्म से 15 जून 2015 से ही सभी प्रकार का लेन-देन बंद है। दयाशंकर सिंह उक्त फर्म से31 मार्च 2015 को ही अपना नाता तोड़ चुके है।
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