पलिया कलां खीरी=नगर पालिका हो तो पलिया नगर के जैसी न कोई काम करना न फिर कोई देखभाल बस अपनी में मस्त रहना !हाँ कुछ ऐसा ही हो रहा है हमारी पलिया नगर की नगर पालिका परिषद में जो कोई कार्य करना ही नहीं चाहते न जाने कितने लोगों की दाखिल खारिज अधर में लटकी हुई है बेचारे जब भी जाते हैं बाबू लोगों का बस एक ही जवाब कल आना परसो आना ।यह कब तक चलेगा समझ में ही नहीं आता न जाने बेचारे कितने नगर वासी अपनी जमीनो की दाखिल खारिज करवाना चाहते है परंतु उनका कार्य नहीं हो पाता और न जाने कितने अपने घरों का टैक्स बंधवाना चाहते हैं पर कोई सुनता ही नहीं ।
नगर पालिका परिषद के कुछ रहमो करम से शहर में इन दिनो विभिन्न गली मोहल्लों एवं मुख्य मार्गो व चैराहो की रात्रि के समय में शोभा बढाने वाली सोलर लाइनें लगाई गयी उनका भी बुरा हाल हो गया कोई लाइट गायब तो कोई बैटरा न जाने कितने मोहल्ले गंदगी से भरे पड़े हैं न कोई साफ सफाई और न ही सुनवाई सफाई कर्मियों से कहो तो जवाब मिलता है अपने आप कर लो ।यह सब हो रहा है हमारी नगर पालिका में कभी पालिका अध्यक्ष और बाबू में अनबन तुम उनके कहने पर यह कार्य मत करना तो तुम उनका कार्य मत करना कुछ समझ में नहीं आता ।कभी सड़कों पर खुले बड़े नाले में कोई जानवर गिर जा ये फोन करो तो हमारे पास समय नहीं नालो पर पत्थर डलवाये तो हो जायेगा पर वक्त आने पर ।सड़कें ऐसी बनायी गयी कि पूछिये मत छः माह हो भी नही पाये कि फिर से पूरी नयी बनवाओ ।जितने हैडपम्प लगाये गये वह भी बेकार हो गये कहीं पूरा हैडपम्प गायब तो कहीं मवेशी बाँध जा रहे हैं । बिजली व्यवस्था का इन दिनो हाल यह है कि शहर के कई मोहल्लो में दिन में पथबतिया जलती है तो कई जगहो पर रात के समय में यह बतिया गुल हो जाती है। शहर में लगातार बिगडी रही रोड लाईट व्यवस्था के सुधार की दिशा में पालिका प्रशासन के द्वारा कोई खास ध्यान नही दिये जाने के कारण इस शहर की रोड लाईट व्यवस्था मानो राम भरोसे ही चल रही है।
मजेदार बात तो यह है कि दिन में जलने वाली रोड लाईटो के बारे में यदि किसी जागरूक व्यक्ति के द्वारा इनको बंद करने के लिए पालिका में फोन भी कर दिया जाता है तो वहां से एक ही जबाब मिलता है कि जलती है तो जलने दो…! उनका भी तर्क उचित है क्योकि दिन रात जलने वाली इन पथबतियो का विधुतभार पालिका को नही चुकाना पडता है अलबता शहरी बिजली उपभोक्ताओ के बिलो में यह राशि जुडकर आती है। सवाल यह नही की पालिका रोडलाईटो का बिल नही भरती मगर सवाल तो यह है कि आखिर में यह रात की बजाय दिन में क्यो जलती है। शहर के विभिन्न गली मोहल्लो में जहां रात्रि में अंधेरा रहता है तो कई स्थानो पर तो लाईटे अधरझूल लटक रही है। शहर की रोडलाईट व्यवस्था के रखरखाव के नाम पर प्रतिमाह हजारो रूपये खर्च करने के बाद भी लाईटो की यह दशा अधिकारीयो की लापरवाही का इससे बडा नमूना और क्या हो सकता है। शहर के मुख्य बस स्टेण्ड सहित विभिन्न जगहो पर लगी हाईमास्क लाईटे भी पिछले कई दिनो से बंद पडी है लेकिन पालिका इसे ठीक नही करा पा रही है।ईश्वर जाने क्या होगा हमारी बेबस नगर पालिका का ।