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बेटी बचाओ बेटी पढाओ को मुह चिढाती एक तस्वीर, भीख मांग कर पढ़ा रही अपनी छोटी बहन को ये बेटी

  • भीख के पैसों से ही पढ़ा रही अपनी छोटी बहन को देश की होनहार बिटिया
  • पढ़ाई छोड़ 2 वक्त की रोटी के लिए भीख मांगने को मजबूर है,
  • तपती धूप में अंधे बाप का हाथ पकड़कर दर दर भटक रही

फारुख हुसैन
लखीमपुर (खीरी) // निघासन = यूपी सरकार चाहे जितनी योजनाएं चला दें और अपने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए दिन रात एक कर रही हो पर यह तस्वीर आप को उस सच का आईना दिखाने के लिये काफी है जिसमें सरकारी योजनाएं अभी भी जरूरतमंदों की पहुँच से कोसों दूर हैं। कक्षा आठ पास एक होनहार बिटिया अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़कर अपने अंधे बाप का हाँथ पकड़कर दर दर भीख मांगती घूम रही है। जरा सोचिये सीएम साहब ! ऐसी हालातों में भला आपका उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश कैसे बन सकता है।अब हम आपको इस अभागन बिटिया और इस अभागे बाप की थोड़ी दास्तान भी सुना देते हैं।

रमियाबेहड़ ब्लाक के अंतर्गत ग्राम चनपुरा निवासी जिंदू निषाद पूरी तरह से नेत्रहीन है। उसकी पत्नी कमला देवी चर्मरोग से पीड़ित है। उसके तीन बच्चे हैं बड़ी लड़की का नाम गुड़िया है और वह करीब 15 साल की है। मंझली बेटी रूपा नौ साल की है और सबसे छोटा बेटा अमर  करीब चार साल का है। घर के नाम पर एक टूटी फूटी झोपड़ी है और सरकारी सुविधाओं के नाम पर सिर्फ एक अंत्योदय कार्ड है। पांच सदस्यों का बोझ भला एक अंत्योदय कार्ड कैसे उठा पाता। वह भी तब जब घर का मुखिया नेत्रहीन हो पत्नी चर्मरोग से पीड़ित हो और तीनों बच्चे छोटे छोटे हों। सो किसी न किसी को तो शहादत देनी ही थी।बड़ी बिटिया गुड़िया ने भी अपनी पढ़ाई की शहादत दे दी।आखिर वह अपने अंधे बाप और मासूम भाई बहनों को भूख से बिलबिलाते कैसे देख पाती। मजबूरन कक्षा आठ पास करने के बाद उसने अपनी पढ़ाई बंद कर दी। अब वह अपने बाप का हाथ पकड़कर सुबह घर से भीख मांगने के लिए निकल लेती है। इधर उधर कस्बों और दुकानों में जाकर उसका बाप झोली फैलाता है और यह बिटिया एक दो रूपये का सिक्का उस झोली में गिरने की राह देखती है। इस होनहार बिटिया के जज्बे को सलाम करने को जी चाहता है कि इस तंगहाली में भी उसने अपनी छोटी बहन की पढ़ाई बंद नहीं करायी है। उसकी नौ साल की यह बहन गाँव के ही सरकारी स्कूल में कक्षा चार में पढ़ रही है। किताबें ड्रेस आदि तो ऊसर स्कूल से मिल जाती हैं लेकिन उसके लिए कापी और पेन आदि का इंतजाम उसकी बड़ी बहन दर दर भटकने के बाद भीख में मिले पैसों से करती है। उसका कहना है कि उसे हालातों के चलते भले अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी है पर वह अपनी छोटी बहन और भाई की पढ़ाई किसी भी दशा में बंद नहीं होने देगी।इस होनहार बिटिया और उसके अंधे बाप को भीख मांगते देख सरकारी योजनाओं और जिम्मेदारों पर शर्म आती है। यह बदरंग तस्वीर उनकी संवेदनहीनता का जीता जागता प्रमाण है। अंधे बाप संग भीख मांगती इस होनहार बिटिया को देखकर कोई भला यह कैसे मान ले कि—“बन रहा है आज संवर रहा है कल।”इस होनहार बिटिया का तो आज और कल दोनों अंधकारमय है।

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