फारूख हुसैन
लखीमपुर (खीरी)// निघासन = सरकार ने मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सालय तो खोल दिए परंतु क्या वह चिकित्सालय गरीबों के लिए बनाये गये हैं क्या वहाँ मरीजों को दवायें उपलब्ध होती है या फिर वहाँ मरीजो का इलाज ठीक से हो पाता है और सबसे मेन बात कि उन चिकित्सालय में चिकित्सक आते है इन सब बातों को लेकर सरकार ने अभी तक कुछ सोचा भी नहीं या यूँ कहे की कुछ डॉक्टर घर में बैठ कर सरकारी धनराशि के मजे ले रहे है।
चिकित्सकों की लापरवाही व शासन प्रशासन की चुपी को देख कर कुछ चिकित्सालय तो खडंहर में तब्दील होते जा रहे हैं क्योंकी इन चिकित्सालय में न ही कोई चिकित्सक आता है न ही कोई कंपाउंडर आता है इसी के परिणाम स्वरूप चिकित्सा केंद्र के अंदर रखी हुई दवाईयां ऐसे खराब हो जाती है और दरवाजो में लगे ताले भी जंग खाकर दुबारा खुलना मुनासिब नहीं समझते है।
चिकित्सकों की लापरवाही के चलते एक ऐसा ही एक होमियोपैथिक चिकित्सालय चिकित्सकों के अभाव के चलते खडंहर में तब्दील होता जा रहा है कई दिनो से इस चिकित्सालय में लगा ताला जंग खाता हुआ नजर आ रहा है न ही इस की कभी मरम्मत कर पुताई हुई है और न ही इस अस्पताल को कई दिनों से खुला देखा गया है।
हम बात कर रहे है निघासन के गाँव झंडी की जहाँ मरीजो के इलाज के लिए काफी पुराना होम्योपैथिक अस्पताल है जो काफी दिनों से बंद है न तो यहाँ किसी डॉक्टर को देखा जाता है और न ही किसी कंपाउंडर को यहाँ देखा जाता है।
ये इस क्षेत्र का सबसे पुराना व एकलौता होम्योपैथिक अस्पताल है जो काफी समय से नहीं खुल रहा है इस अस्पताल के न खुलने से क्षेत्रवासियो व ग्रामवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है इस चिकित्सालय की ओर आज तक मुख्यचिकित्शा अधिकारी ने भी कोई कार्यवाही नहीं की जिससे ये सुचारू रूप से नियमित चल सके।
इस क्षेत्र में बहुत ऐसे मरीज है जो होम्योपैथिक के इलाज से ही ठीक होते है मगर गाँव वासियों का इकलौता होम्योपैथिक अस्पताल अपनी दशा और विवस्ता को देख कर खुद आँसू बहाता नजर आ रहा है परंतु इस चिकित्सालय को शासन प्रशासन देख कर भी अनदेखा कर रहा है जिसके कारण अब यह केवल एक खडंहर ही बनकर रह गया है ।