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इन गरीबो का पेट भी पालता है ये रावण

समीर मिश्रा के साथ मनीष गुप्ता.
कानपुर। शहर में रावण यानी लंका नरेश का पुतला बनाने के लिये करीब सौ से अधिक कारीगर दिन रात जुटे हैं। ये वहीं कारीगर हैं. जिन्होंने भगवान गणेश की प्रतिमा और नवरात्र में दुर्गा मां की मूर्तियां तैयार की हैं। साल दर साल बढ़ रही महंगाई का असर इस बार के रावण दहन में भी दिखायी दे रही हैं। रावण के पुतले बनाने में पिछले साल के मुकाबले इस साल 20 से 30 फीसदी बढ़ोत्तरी हुईं हैं।
वहीं हर साल की अपेक्षा इस साल रावण के पुतले की मांग काफी बढ़ गईं हैं। यहां तक लोगों ने रावण के पुतले के लिये एडवांस बुकिंग तक करा रखी हैं। सबसे अधिक बच्चों की डिमांड पर तीन फीट के रावण के पुतले बनाये जा रहे हैं। ऐसे रावण के पुतलों की कीमत करीब तीन सौ रुपये हैं।वहीं पच्चीस फीट लंबे रावण के पुतले की कीमत करीब दस हजार रुपये तक हैं। नरेन्द्र मैदान में रावण के पुतले बना रहे कारीगर ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल रावण के पुतलों की कीमत में दस से बीस फीसदी बढ़ोत्तरी हुईं हैं।

कारीगरों ने बताया कि पुतला तैयार करने के लिये सिर्फ तीन दिनों का समय शेष बचा हैं। उन्हें दिन रात काम करना पड़ रहा हैं। लेकिन रोशनी की व्यवस्था नहीं हैं। रोशनी की व्यवस्था कराने के लिये कारीगर केस्कों अधिकारियों से कंप्लेन भी कर चुके हैं। लेकिन उसका अभी तक कोई जवाब नहीं मिला हैं। शहर में प्रमुख तौर पर पांच दर्जन से ज्यादा स्थानों पर रावण के पुतलों का दहन किया जाता हैं। इनमे परेड का ग्राउंड, चकेरी का नरेन्द्र मैदान और गोविंद नगर में रामलीला मैदान प्रमुख हैं। स्वरुपनगर स्थित गोल चौराहे पर रावण का पुतला बना रहे कारीगर ने बताया कि तीन फीट छोटे रावण बहुत भा रहे हैं।
इसकी लागत भी कम होने के कारण बच्चे इसको आसानी से खरीद ले रहे हैं। लेकिन इस छोटे रावण के पुतले में बच्चों पटाखे अपनी तरफ से लगाना होगा। कारीगरों का कहना हैं कि इस साल रावण के पुतलों की काफी डिमांड आयी हैं। लोगों की डिमांड पूरी करने के लिये बाहर से भी कारीगर बुलाये गये हैं।
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