इन्ही के सहारे रोज़ी रोटी चल रही है और उसी के अन्य ज़रूरी आवश्यकता की पूर्ति भी सम्भव हो पाती है। लेकिन मौसम की मार झेलने के साथ जंगली जानवरों के आतंक से किसान दिन प्रतिदिन आर्थिक रूप से कमज़ूर होता जारहा है। इस का नतीजा है कि अधिकतर किसान सब्ज़ियों और अन्य लाभदायक फसलें की बुवाई से हार गया है क्योंकि जंगली जानवर नीलगायों के आतंक से किसान पार नहीं पा रहे हैं । पाहीं, ओझोली, नैठी, सिकंदरपुर, तुन्तुनमोद, देवली, गजेहड़ा,मोहब्तबपुर, दाऊदपुर, हुसैना बाद, इस्लामपुरा, बम्हौर, नीबी, सिकठी और सलारपुर आदि गांव में किसान सब्ज़ी आदि की खेती करते हैं। जिनको काफी नुकसान उठाना पढ़ता है। किसानों का कहना है कि जंगली जानवरों का आतंक पिछले वर्ष आलू की फसल से तरस गये थे। अरहर व मटर सब्ज़ियों पर भी इनके आतंक का प्रभाव पड़ा था। वहीँ नीलगाय मटर सब्ज़ी आदि को प्रभावित कर रहीं हैं। अब फसल की लागत निकालना तो दूर की बात है, खेती में रखवाली कर रहे किसान के ऊपर भी हमला कर देते हैं नीलगाय के झुण्ड से बचना मुश्किल है। किसान किसी तरह अपनी फसल की रखवाली कर रहे हैं । किसानों ने इससे निपटने की मांग वन अधिकारीयों से की है। अब देखना यह है कि वन विभाग के अधिकारी इसमें क्या करते हैं।
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