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चाइनीज वस्तुओं के बहिष्कार का नहीं दिखा असर, दीपावली पर्व पर चाइना पटाखों की धूम

अन्जनी राय/यशपाल सिंह
आजमगढ़ : चाइनीज़ ड्रेगन ने अब दीपावली के पर्व को भी पूर्ण रूप से अपने लपेट में ले लिया है। चाइना सामानों का बहिष्कार  क्षेत्र में कम ही दिखता है दीपावली का पर्व  करीब आते ही रेशम नगरी  मुबारकपुर की बाज़ारों में हर तरफ रंग बिरंगे झालरों से सजी दुकाने नज़र आने लगी हैं। आगामी  30 अक्टूबर  को मनाये जाने वाले दीवाली के पर्व  के लिए कपड़े ,मिठाइयां,कंधमिले, घरों को जगमगाने वाली लाइटें और गिफ्ट आईटम तक बेचने वालों की दुकानों पर खूब चहल पहल रोनक दिखाई देने लगी है।होली पर सस्ती रंग और पिचकारियाँ,रक्छा बन्धन पर राखियां ,दीपावली के शुभ अवसर पे सस्ते बिजली की झालर आदि ने हिंदुस्तानी बाज़ारों पर मानो अपना कब्ज़ा जमा या हो।विगत कई वर्षों से चीन में बनी खूबसूरत और अतिसुन्दर सजावट वाली चीज़ और सस्ते बिजली के झालर हर घर की जगमगाहट बन चुकी है।सस्ते और सुंदर होने की वजह से चीन में बनी लछमी व गणेश जी की मूर्तियां भी लोगों को खूब आकर्षित हो रही है।दीपावली के तयोहार केलिए इस बार बाज़ार में जहाँ बच्चों केलिए फुलझड़ियाँ आदि आतिश बाज़ी मुहैया हैं तो वहीँ चीन में बने ज़ोरदार धमाका के साथ फटने वाले बम और रॉकेट
भी लोकपिरय होरहे हैं इस बार मार्केट में दीपावली के अवसर पर 30वर्षों से मुबारकपुर के मेन सब्ज़ी मण्डी में पटाखे की दूकान लगाने वाले अफसर हुसैन जनरल स्टोर का कहना है कि हम इण्डिया का बना हुआ ही पटाखा लाते हैं और देशी आतिश बाज़ी के मुकाबले में चीन से आने वाले आतिशबाज़ी के आईटम सस्ते होते हैं इसलिए युवा    वर्ग अधिक इसी की डिमांड करता है ।
वहीँ इन्ही के पड़ोस में अपनी अलग दुकान सजाये बैठे फ़िरोज़ हुसैन ने बताया कि गत 30 वर्षों से यहाँ हमारी दुकान लगती है.हमने सदैव  हाथ से बने अनार देशी पटाखों को ही बेचा है लेकिन अब बदलते वक्त के साथ मार्केट की मांग को देखते हुये हमे मजबूर हैं  लोग चीन से  बनी आतिशबाज़ी की ही मांग करते है पर इस बार चीनी पटाखा  नहीं के बराबर  है। 20 वर्षों से पटाखे बेचने वाले नगर के ही  लछमी शाह का कहना है कि बाबू अब ज़माना बदल गया है पहले की तरह अब हाथ से बने पठाखे की कदर नहीं रहगया और मार्केट में ग्रहनक  की मांग के हिसाब से चलता है और महंगाई की मार से परीशान लोग अब सस्ते चीनी माल को ही खरीदते हैं _उन्होंने ने कहाँ कि अगर किसी को सिर्फ 30 रूपये में सस्ता और कोई नया सा चीनी बम कड़ियल मिल रहा है तो देशी माल क्यों खरीदेगा –
ग्राहकों  के इस रवैये की वजह से ही हाथ हाथ से बना देशी पटाखा बनाने वाले आज बेबस और बेकार हैं।वहीँ कुछ  लोगों का भी कहना है कि चीन से आने वाले आतिशबाज़ी आईटम सस्ता होने की वजह से मार्केट में छागये हैं।और इनकी अधिक खपत है।लेकिन इन विदेशी पटाखों में देशी आतिशबाज़ी जैसा दम ख़म नहीं होता।
चीन में बने पटाखों के बारे में नगर पालिका परिषद मुबारकपुर के पास के रहने वाले डॉ अशोक कुमार गुप्ता का कहना है कि आतिशबाज़ी के ये आईटम हमारे बजट में बहुत अधिक सस्ता पड़ता है जिससे तयोहार पर रौनक भी भर पुर होती है। यहीं के रहने वाले प्रदीप मोदनवाल उर्फ़ कल्लू होटल वाले का कहना है कि दीपावली पे हम ऐसा ही पटाखा लेते हैं जो प्रदुषण न करे और सस्ते हों चाहे देशी हो या विदेशी हो इस से कोई हम को फर्क नही पड़ता है। रोडवेज़ चौराहे के पास रहने वाले गोपाल प्रजापति का कहना है कि दीपावली तयोहार के अवसर पे मार्केट में बिजली की झालरों के साथ चीन में बनी सुंदर लछमी व गणेश जी मूर्तियां भी लोगों को खूब आकर्षित कर रही हैं।इन मूर्तियों को बिजली से चलने वाली लाईटों से खूबसूरती से सजाया गया है और ये मार्केट में मुहैया है परम्परा से मिट्टी से बनने वाली मूर्तियां भी नज़र आ रही है।
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