किसानो का कहना है कि विभागीय अधिकारियों से शिकायत के बावजूद सचिव की मनमानी पर कोई असर नहीं पड़ा है। शुक्रवार को भी किसान जब समिति पर पहुंचे तो वहां पर सचिव द्वारा मीटिंग में जाने की बात लिखी गयी थी। खाद की आस में गये किसानों ने जब उच्चाधिकारियों से मोबाइल पर किसी प्रकार की मीटिंग की जानकारी चाही तो पता चला कि कहीं पर किसी प्रकार की मीटिंग नहीं है। इससे साफ है कि सचिव द्वारा किसानों को गुमराह कर गायब रहने का बहाना ढूंढा जा रहा है। किसानों का कहना है कि यदि एैसा ही रहा तो वे सब आंदोलन करने को मजबूर होंगे
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