उन्होंने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा बनाने के मुद्दे को लेकर देश में मतभेद उत्पन्न हो गया था l ऐसे हालात में इंदिरा जी ने शांति और सामंजस्य से काम लेते हुए परिस्थिति को नियंत्रित किया 1966 में शास्त्री जी के आकस्मिक निधन के के बाद इंदिरा जी को देश की बागडोर सौंपी गई इंदिरा जी ने देश को बखूबी विश्व के पटल पर अपने देश का नाम रोशन किया उन्हें आयरन लेडी के रूप में भी जाना जाता था विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय मैं उन्हें डॉक्टर की उपाधि से भी सम्मानित किया और इंदिरा जी ने कई संस्थाओं की देखरेख भी करती थी इस मौके पर – सईद आलम, कुतुबुद्दीन बाबू ,दानिश ,राशिद सिद्दीकी, आकिब हाशिम, अतहर कादरी, अली रजा ,राजेश यादव फहीम ,अहमद मुमताज ,शमजुमा ,नौशाद मौजूद थे।
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तारिक आज़मी डेस्क: धर्म के भेष में अधर्मी सिर्फ सतयुग में ही नही छिप जाते…
रेयाज़ अहमद गाजीपुर: सूर्य षष्ठी के महापर्व डाला छठ शहरी और ग्रामीण अंचलो में अपरा…
उमेश गुप्ता बिल्थरारोड (बलिया): अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देकर मनौती पूर्ण करने की गुहार लगाने…
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मो0 कुमेल डेस्क: भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर को एनआईए कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट…