अनंत कुशवाहा
अम्बेडकरनगर। श्रवण क्षेत्र निर्वाण स्थली के दूसरे दिन अगहनिया मेले प्रशासन की तरफ से की गयी अव्यवस्था पर श्रद्धालुओं और मेलार्थियों की आस्था भारी पड़ी। कड़ाके की ठंड के बावजूद भी खिली धूप में मेलार्थियों का रेला उमड़ा। दूसरे दिन मेलार्थियों की उमड़ी भीड़ से प्रशासन की सारी व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गयी। मातृ-पितृ भक्ति के प्रतीक श्रवण क्षेत्र मेले के दूसरे दिन खिली धूप में मेलार्थियों का जन सैलाब उमड़ पड़ा।
दोपहर बाद मेले में भीड़ इतनी बढ़ गयी कि प्रशासन की तरफ की आधी आबादी अधूरी व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गयी। मेला क्षेत्र के प्रमुख स्थानों, स्नान घाटो, झूला, सर्कस तथा श्रवण कुमार के मंदिर के पास लड़कियों व महिलाओं से छीटा कसी करने वाले मजनू काफी सक्रिय देखे गये। मेला क्षेत्र में आवागमन के सभी रास्तो का हाल काफी काफी दयनीय होने के कारण मेलार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। अन्नावां से श्रवण क्षेत्र, बैजपुर से श्रवण क्षेत्र, दशमड़े से श्रवण क्षेत्र के रास्तो पर कंकड़ व गड्ढो के कारण मेलार्थियों सड़क पर गिरकर चोटहिल हो रहे है। मेले में संगम नदी पर बना अस्थायी पुल दल-दल होने के कारण कच्चे पुल आवागमन बाधित रहा। इस वर्ष मेले में खान-पान की दुकानों के अलावां झूला, सर्कस, थियेटर, मौत का कुंआ तथा बच्चों के लिए मनोरंजन के साधन मेले में आये है। इसके अलावां कृषि व घरेलू सामानों के लिए प्रसिद्ध मेले लकड़ी व लोहे की दुकाने खूब सजायी गयी है। कटेहरी कृषि सामानों में फावड़ा, कुदाल, हल, खुरपा-खुरपी, सिंचाई के साधनों में दोगला, हाथा आदिके साथ घरेलू सामानों में ताबा, चिमचा, करछुल, चलनी, सूप आदि की दुकाने खूब आयी है। लकड़ी के सामानों तख्त, कुर्सी, मेज, स्टूल, दरवाजा आदि उपरोक्त सामानों के लिए प्रसिद्ध मेला है। मेले में खजला व जलेबी की दुकाने खूब आयी है। कटेहरी में श्रवण कुमार पुराना मंदिर बड़ी कुटिया के पुजारिन बच्ची देवी ने बताया कि कभी भी मंदिरो के रख रखाव तथा रंगाई पोताई के लिए आज तक एक पैसा नही दिया जाता है। अपने खर्चे से रंगाई पोताई करायी जाती है। इस वर्ष मेले में नोट बंदी के कारण जेब खर्च की परेशानी रहा। भीड़ होने के बावजूद भी सामानों की विक्री कम रहा। फिर भी प्रशासनिक अव्यवस्था पर श्रद्धालुओं की आस्था भारी है।