आज के दौर में बेटी की शादी करना मुश्किल होता जा रहा हे।कुछ वजह महगाई भी है।और कुछ रीती रिवाज के नाम पर और समाज के उन पंचो से जो बेटी के पिता की परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।आचार्य कृष्ण कान्त शास्त्री की पहल दहेज़ मिटाओ बेटी बचाओ अभियान का असर गांव तो गांव शहरों में भी पहुँच रहा है इनकी समाज में बदलाव लाने की जिद से अब तक 33 शादी बिना दहेज़ के हुई।लोगो को सामूहिक विवाह समारोह के लिए प्रेरित करके कई आयोजन भी किये जा रहे है ।इस अभियान में युवा भी जुड़ रहे हे ।युवतियों की मानसिकता भी बदल रही हे।
दहेज़ मिटाओ बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत अपने ही घर से की थी। एक उदाहरण आपको बता रहे हे ।जो एक रुपया व् एक नारियल में शादी हुई ।सुनने में अजीब सा लग रहा हे मगर ये सत्य हे ।दहेज़ मिटाओ बेटी बचाओं अभियान के सयोंजक ने कहा ।की आचार्य कृष्णकांत शास्त्री के मार्गदर्शन से गावो व् शहरों में अभियान चलाया जा रहा है ।उन्होंने बताया की कचोलिया रोड चोमू निवासी रमेश पुत्र बंशीधर व् मुरलीपुरा निवासी अनीता पुत्री हरिनारायण सैनी ने अपनी पुत्री की शादी डॉ रमेश से तय की ।और रमेश के पिता बंशीधर दहेज़ में एक रुपया व् एक नारियल शादी में लेकर माली समाज में एक उदाहरण दिया ।दहेज़ मिटाओ बेटी बचाओं अभियान से दोनों परिवार की सहमति से एक रुपया व् एक नारियल लेकर शादी की ।शास्त्री ने बताया की इस अभियान का लक्ष्य है की सभी समाज में यह सन्देश जाये ।खर्चीली शादिया दहेज़ प्रथा को बढ़ावा देती है इसके साथ ही वे रीति रिवाज के नाम पर नेग उपहार की परम्परा को खत्म करना चाहते है।