आज़मगढ़ : नोट बंदी के एक महीने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं। आजमगढ़ में आज भी घंटों लाइन के बाद दुर्व्यवस्था झेलनी पड़ी। लोगों का मानना है कि भले ही नोट बंदी का फैसला सही हो सकता है लेकिन बैंकों में मिलनी वाली व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है।
बैंकों में वीआईपी रसूख के लोगों के लाखों करोड़ों रूपये बदल जा रहे हैं लेकिन आम लोगों को घंटों लाइन के बाद भी 2 हज़ार रूपये मिलना मुश्किल हो रहा है। हमने जब इसकी पड़ताल करानी चाही कि आखिर ग्रामीण इलाकों में इतनी क्यों दिक्कत हो रही है तो कई प्रमुख बैंकों में अधिकारी व कर्मचारी से हुई बातचीत और बैंक के सूत्रों ने बताया कि शाखा प्रबंधक कमीशन के चक्कर में कई दांव आजमा कर कथित वीआईपी को उपाय सुझाए जा रहे हैं। आजमगढ़ के कई क्षेत्रों में बाहर से देशों से भी रुपयों का अवैध रूप से बांटने का कारोबार होता है। जिसे सरल भाषा में हवाला कहा जा सकता हैं। नोट बंदी ने इस धंधे को खूब चोट पहुंचाया है। बैंकों में ऐसे खाते जिनमे पिछले कुछ वर्ष में कोई लेन देन नहीं हुआ है और जो डार्मेंट खाते हो चुके थे उसके बारे में जानकारी दी जा रही है। जिसका खाता है उसको झांसा देकर लाया जा रहा है और कमीशन के खेल में खाते में धन डलवा कर निकलवाया जा रहा है। वहीं नो फ्रिल खाते जो कि छात्रों के होते हैं है जिसमे दस हज़ार से ज्यादा का लेन देन माह में नहीं किया जा सकता है उसको भी जनरल खाता बना दिया जा रहा है। इन खातों में धन डाल कर दूसरे दिन निकलवाया भी जा रहा है। यदि इस मुद्दे को दृष्टिगत रख कर जाँच की जाय तो आइना सच्ची तस्वीर दिखा देगा. मगर बात यहाँ यह भी है कि जाँच आखिर करेगा कौन……?