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कॉमन सिविल कोड मजहबी आजादी और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है – के.एम. शरीफ

अब्दुल रज्जाक
कोटा 27 दिसम्बर मंगलवार। पॉपुलर फ्रन्ट ऑफ इण्डिया की और से राज्यस्तरीय अधिवेशन का नयापुरा स्टेडियम में कॉमन सिविल कोड मजहबी आजादी और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है विषय पर आयोजित तहफ्फुज ए शरीयत कॉन्फ्रेंस में  सभी संगठन, समाज के पदाधिकारी व इमामों ने एक आवाज में कहा हमें शरीयत (इस्लामिक कानून) दखलअंदाजी मंजूर नहीं। कॉन्फ्रेंस में हाडौती संभाग सहित राज्य के कई हिस्सों से लगभग 27 हजार लोगों ने भाग लिया। कॉन्फ्रेंस को राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय वक्ताओं ने संबोधित किया।
पॉपुलर फ्रन्ट के चेयरमेन के.एम. शरीफ ने कहा कि कॉमन सिविल कोड संविधान के खिलाफ है यह भारत की अनेकता में एकता के विरूद्ध है। यह देश के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कानून से मुस्लिम महिलाओं सहित भारतीयो को कोई परेशानी नहीं है भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां हर धर्म के लोगों को निवास करने, बोलने व सूनने की आजादी है। तीन तलाक के नाम पर मोदी सरकार धु्रवीकरण की राजनीति कर रही है।
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य प्रोफेसर सउद आलम कासमी साहब ने कहा कि तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को बदनाम करने की साजिश की जा रही है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत की हिफाजत के लिए हमेशा संघर्ष करता रहेगा। राजस्थान मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमेन मौलाना फज्ले हक ने कहा कि मोदी सरकार लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने के लिए नए नए प्रोपगेण्डे बनाती है। कॉमन सिविल कोड का मुद्दा भी इसी का हिस्सा है। कोटा शहर काजी अनवार अहमद साहब ने कहा कि मुसलमान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है लेकिन शरीयत में बदलाव हमें किसी भी हालत में मंजूर नहीं। पाॅपुलर फ्रंट के प्रदेशाध्यक्ष अनीस अंसारी ने कहा कि हमें मिलकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी होगी। हमारी एकता सबसे बड़ी ताकत है।
एसडीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव  मो. शफी ने कहा कि कॉमन सिविल कोड के मामले में केन्द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने का तरीके पर कई सवाल खडे होते है चन्द महिलाओं के कहने पर हलफनामा दायर किया जबकि करोडों की तादाद में  मुस्लिम महिलाओं ने मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अपना विश्वास जताया है। बरेली से तशरीफ लाए मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि मोदी मन की बात करते है लेकिन आज तक अपनी पत्नि की मन की बात को नहीं समझ सकें।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग की कन्वीनर यास्मीन फारूकी ने कहा कि इस्लाम में तलाक जुल्म नहीं बल्कि आजादी है इस्लाम ने ही हिन्दुस्तान में दुसरे धर्मों को भी तलाक का तरीका सिखाया है कॉन्फ्रेंस को सय्यद वारिस हुसैन चिश्ती, मौलाना सईद मुख्तार, साजिद कुरैशी प्रवक्ता मध्यप्रदेश कॉंग्रेस मौलाना अलाउद्दीन अशरफी, मौलाना अहमद बेग लखनऊ, मुफ्ती कोनेन, मौलाना राशिद, एसडीपीआई के हाफिज मंजूर अली खान सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया। कॉन्फ्रेंस का आगाज कौमी तराना सारे जहां से अच्छा से हुआ। मो. आसिफ ने स्वागत भाषण व शोऐब अहमद ने धन्यवाद पारित किया। कॉन्फ्रेंस में निम्न प्रस्ताव पारित किये गए तथा जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन दिया गया।कॉन्फ्रेंस की पूरी व्यवस्था सेकडों कार्यकर्ताओं ने संभाल रखी थी।

  1. हम इस्लामी शरीयत के तमाम अहकामात (प्रावधान) खासतौर पर निकाह, तलाक, खुला, फस्ख और विरासत के दीनी एतबार से पूरी तरह मुतमइन है और इसमें किसी भी प्रकार की तबदीली की जरुरत या गुंजाइश से इन्कार करते है अतः इनमें किसी प्रकार की तब्दीली ना की जाये।
  2. भारत में हर धर्म पर चलने की पूरी स्वतन्त्रता संविधान ने दी है। अतः हमें किसी भी रुप में युनिफॉर्म सिविल कोड स्वीकार नहीं हैं।
  3. कुछ सांसद, विधायक एवं संगठन अनर्गल बयानबाजी कर देश का सौहार्द बिगाडने में लगे है ऐसे तत्वों के विरुद्ध कडी कार्यवाही हेतु सरकार को निर्देशित करें।
  4. हम कानूने शरीयत की हिफाजत के लिए ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है अतः इसका हम सभी मुस्लिम समर्थन करते है।
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