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आगरा – पिनाहट, बाह के समाचार नीरज परिहार के साथ

बर्ड फेस्टिवल की शुरुआत, 26 देशो के साथ देशी बर्ड एक्टिविस्टों ने डाला डेरा।

आगरा-बाह। आगरा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ईको टूरिज्म को बढावा देने लिए प्रदेश सरकार ने पिछले बर्ष पहली बार दिसम्बर 2015 से आगरा जनपद से 80 किमी दूर जरार के चंबल सफारी में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन शुरू किया।जिसका उदघाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया और विलुप्त होती जारही पक्षियों बचाने के लिए लोगों प्रेरित कर दोबारा से अगले बर्ष चंबल क्षेत्र में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन करने की बात कही थी।वही इस बर्ष शुक्रवार से बर्ड फेस्टिवल का आयोजन शुरू हुआ है।बर्ड फेस्टिवल में मुख्य मंत्री के आगमन को लेकर तैयारियां थी। मगर बाद मे प्रदेश के मंत्री अभिषेक मिश्रा द्वारा फेस्टिवल का उद्घाटन होना था। लेकिन वह किसी कारण नही पहुचे। उदघाटन के बिना ही बर्ड फेस्टिवल का आयोजन शुरू किया गया।वही इस वर्ष बर्ड फेस्टिवल में 26 यूके, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, रसिया, मलेशिया, चायना, फिलीपींस, अमेरिका, अफ्रीका, इंडोनेशिया, नेपाल।भूटान आदि देशों के साथ भारतीय बर्ड एक्टिविस्टों ने बर्ड फेस्टिवल में लेने पहुंचे है जहां उन्होने चंबल में कई प्रकार के पक्षियों को नजदीक से दीदार किया।यह बर्ड फेस्टिवल 4 दिसंबर तक चलेगा जहां बर्ड एक्टिविस्ट चंबल नदी क्षेत्र में देशी व विदेशी प्रवासी पक्षियो पर अध्यन करेगें और यहां पहुंचने वाले स्कूली छात्रों, पर्यटकों, के साथ क्षेत्रीय लोगों को पक्षियों की विलुप्त होती जारही प्रजातियों को बचाने और उनसे होने वाले लाभ के बारे में बताया जायेगा। आगरा के तहसील के कस्बा जरार में बर्ड फेस्टिवल आयोजन होने से चंबल क्षेत्र में इको टूरिज्म को बढाबा मिलने की बात कही जारही है।बर्ड फेस्टिवल मै पहुंचने वाले बर्ड एक्टिविस्टों के ठहरने के लिए चंबल सफारी लॉज में व्यवस्थाये की गई है।

चम्बल नदी पर पुल का निर्माण कार्य शुरू

27 वर्ष के बाद दो प्रदेशों की जनता का इन्तजार के बाद चम्बल नदी पर पक्के पुल सपना पूरा

आगरा-पिनाहट । पिनाहट घाट पर चम्बल नदी पर  मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पक्के पुल को बनाने का कार्य  शुक्रवार शुरू हो गया।शुक्रवार को चंम्बल नदी के मध्य प्रदेश सीमा मे पुल ठेकेदारों के कर्मचारीओ ने ड्रिल मशीनों और मजदूरों के साथ डेरा डाल कर कार्यप्रारंभ कर दिया।
जानकारी के अनुसार 27 वर्ष पूर्व सन 1989 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के बीच जनता की सुविधा के लिए दोनो प्रदेशों के तत्वकालीन मुख्य मंत्रियों की उपस्थित में चंम्बल नदी पर पक्का पुल बनाने के लिए आधारशिला रखी थी।तब नदी पर पुल बनने को लेकर ग्रामीण जनता में आश जगी थी।किसी कारण वश यह पुल बनाने की योजना अधर में लटक गई।चुनावों के दौरान पुल का मुद्दा जनता की छाया रहा।मगर चंबल पर पुल निर्माण नही हुआ। जनता की परेशानी को देखते हुऐ चंबल पर पुल बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को आगे आना पडा और अब 27 बर्षो के बाद दोनों प्रदेशो की जनता का चंबल पर पक्का पुल निर्माण का सपना पूरा होने जारहा है।जिसके लिए
मध्य प्रदेश की रीवा की एक कम्पनी ने पुल का निर्माण कार्य शुरू करा दिया है। मध्य प्रदेश ब्रिज कॉरपोरशन के इन्जीनियर एम एस जादौन ने बताया कि पुल की लम्बाई 700 मीटर व चौडाई साढे आठ मीटर की है। इस पुल के निर्माण के लिए चम्बल नदी पर पन्द्रह पिलरों से पुल का निर्माण किया जायेगा।पुल के पिलरों को करीब डेढ सौ मीटर गहरा जमीन में खडा किया जायेगा। पिलरों के बीच पचास पचास मीटर की चौडाई के चौदह स्थान बनाये जायेगा। चंबल नदी पर पक्का पुल निर्माण की सूचना पर क्षेत्रीय जनता में खुशी का माहौल है।

वर्ड वॉचिंग के लिए पिनाहट चम्बल घाट पर पहुचे वर्ड एक्सपर्ट

आगरा-पिनाहट । पिछली वर्ष की तरह इस बार भी वर्ड केस्टिवल का आयोजन धूमधाम से किया जा रहा है। आज देश विदेश के वर्ड एक्सपर्ट पिनाहट के चम्बल क्षेत्र में भी पहुचे। यहॉ के देहाती क्षेत्र और चम्बल की बीहडी क्षेत्र में वर्ड एक्सपर्टो ने तमाम प्रजातियों के पक्षियों को निहारकर अपने कैमरों में कैद किया। और दुरबीन से दूर दराज तक पेडों पर चहल कदमी कर रहे पक्षियों को भी निहारा। कई देशों से आये इन वर्ड एक्सपर्टो को चम्बल की वादियॉ खूब भायी। कोई टीले पर चढकर तो कोई खेतों में कैमरे लगाकर चम्बल क्षेत्र के पंक्षियों को कैमरों में कैद करते रहे। इनको देखने के लिए ग्रामीण भी इकटठे हो गये। देर शाम तक वर्ड एक्सपर्ट चम्बल के बीहड में तासौड तक वर्ड वॉचिंग करते रहे। यहॉ पर इन पक्षी विशेषज्ञों ने पक्षियों के अलावा भी मंसुखपुरा थाना क्षेत्र में हिरनों के झुन्ड को भी कैमरे में कैद किया। और वापस जरार स्थित चम्बल सकारी के लिए रवाना हो गये।

देहात में कोहरे ने ओढी चादर

आगरा-पिनाहट । दिसम्बर माह शुरू होते ही समूचा क्षेत्र कोहरे की चादर में ढक गया है। दोपहर बाद कही धूप देखने को मिल रही है। सुबह होते ही कोहरा शुरू हो जाता है। वाहन भी कोहरे के कारण रिंग रिंग कर चलते रहे। स्कूल जाने वाले छात्र भी कोहरे के कारण देरी से स्कूल पहुच सके। गॉव गॉव में लोग अलाव जलाकर दोपहर तक तापते रहे। कडकडाती ठंड में बच्चों के लिए स्कूल जाना भी मुश्किल हो गया है।
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