इमरान सागर
तिलहर/शाहजहाॅपुर :– अस्पताल परिसर का फर्श अब तो कभी भी खून से लथप्थ नजर आ जाता है। सफाई के नाम कर्मचारी मात्र अपनी डयूटी निभाने चाय की दुकानो पर समय गुजारते नगर आते हैं जबकि लोकल क्षेत्र के कर्मचारी मरीजो तक पर अपना पूरा रूतबा झाड़ते नजर आ रहे हैं। भारत सरकार के स्वच्छता अभियान की जमक र खिल्ली उ़ती दिखाई दे रही है।
नगर का समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अब गन्दिगी का अड्डा बनता जा रहा है। वार्डो के बैड तथा फर्श अक्सर खून से धब्बे और पान की पीक से ढ़के नजर आते हैं समय चाहे कुछ भी हो रहा हो परन्तु सफाई कर्मी कहंी भी सफाई करतें नजर नही आते है। मरीजो के लिये बने वार्डो के मैनेजमेंट पर पूरी तरह डिलीबरी रूप् स्टाफ हावी होने के कारण जब सफाई का भी मरीजो का अलग से पैसा देना पड़ता हो तो फिर बैड पर शीड कैसे नजर आयेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर सी0 एच0 सी0 पर प्रतिदिन हजारो की संख्या में मरीज और उनके तिमारदार आते हैं परन्तु समय से डाक्टर डाक्टर के मौजूद न होने पर वे मौजूद स्टाफ की दलाली का शिकार हो रहे हैं। अधिंकाश एक ही डाक्टर के सहारे चलने वाले अस्पताल के स्टाफ पर अब किसी का भी कन्टरोल नजर नही आता है जिसके चलते क्षेत्रिय कर्मियो का अस्पताल पर पूरी तरह कब्जा है।
सूत्र बताते हैं कि अस्पताल के डिलीबरी मे रात्रिकालीन डयूटी में मरीजो और उनके तीमारदारो की जेब जमकर तराशी जा रही है परन्तु किसी के भी द्वारा जरा सा बिरोध मरीजो और उनके तीमादरो पर भारी पड़ता है। यही नही अस्पताल सरकारी होने के बाद एक रूपये के पंजीकरण शुल्क तो दूर का विषय है मरीजो को डिलबरी एक प्रायवेट अस्पताल से भी अधिक महगी पड़ रही है। अस्पताल परिसर की सफाई के लिये आने वाले पैसे का किस प्रकार दुरूप्योग हो रहा है यह किसी से भी छिपा नही है वहीं सफाई कर्मी सरकार से मुफत का बेतन लेकर मजा मार रहे हैं।