खुफिया एजेंसियों को इन गिरोहों की बातचीत पर शक न हो, इसलिए इन्होंने कई नए कोड इजाद किए हैं, जिनको भेदने का काम इन दिनों खुफिया विभाग के लिए सरदर्द बना हुआ है। बताया जा रहा है कि ये कोड वर्ड पिछले दिनों खाड़ी देश की एक बड़े शहर में हुई काला कारोबारियों की अहम बैठक के बाद जारी किया गया है।
‘गार्डनर’ का ‘फ्लावर’ किसे देना है खुफिया विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, दो नंबर का कारोबार करने वाले बदमाश इन दिनों जिन कोड वर्ड्स का इस्तेमाल करते हैं, उनमें
500 के पुराने नोट के लिए ‘येलो फ्लावर’, जबकि
500 की नए नोट के लिए ‘ग्रीन वेजिटेबल’
, 1,000 रुपये के नोट का कोड वर्ड ‘रेड रोज’ जबकि 2,000 रुपये के नए नोट के लिए ‘पिंक पेपर’ का प्रयोग शामिल हैं। देखें: नोटबंदी के बाद काले धन वालों ने किए कैसे-कैसे जुगाड़? इसके अलावा ‘तिजोरी’ के लिए ‘गार्डन’ और नोटों के लिए ‘फ्लावर’ का इस्तेमाल बतौर कोड वर्ड किया जा रहा है। जिस व्यक्ति के पास ये नोट हैं, उसे गिरोह के लोग ‘गार्डनर’ यानी ‘माली’ और जिससे नोट लेने हैं, उसे ‘प्रिस्ट’ यानी ‘पुजारी’ कहकर संबोधित करते हैं। उदाहरण के तौर पर आपके ‘गार्डन’ में कितने ‘फ्लावर’ हैं, इसका मतलब आपकी ‘तिजोरी’ में कितने ‘नोट’ हैं, होता है। एक नजर कोडर्वड्स पर 500 के पुराने नोट- येलो फ्लावर 500 के नए नोट- ग्रीन वेजिटेबल 1,000 रुपये के नोट- रेड रोज 2,000 रुपये के नए नोट- पिंक पेपर।