जयपुर – आज के कलयुग के दौर में एक अच्छा इंसान बनना बहुत ही मुश्किल है और इंसान बनकर इंसानियत का फर्ज अदा करना ये और भी मुश्किल कार्य है ।आज भी इंसानियत पर मर मिटने वालो की कोई कमी नहीं हे । आज के भागदौड़ की जिंदगी में लोग सिर्फ अपनी व् अपने परिवार के अच्छे बुरे के बारे में ही सोचते हे उन्हें दूसरे से कोई लेना देना नहीं हे ।आपको आज ऐसे इंसान के बारे में जानकारी देने जा रहे हे ।जो समाज व् पर्यावरण की सुरक्षा व् पेड़ो की रक्षा करने में दिन रात कोशिश में लगा हुआ है।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक इंसान,जिसने अपना घर इसलिये छोड़ दिया हो ताकि वो दुनिया को हरा भरा कर सके,जानते हे राकेश मिश्रा के बारे में राकेश ने तय किया कि में तब तक नये कपड़े नहीं पहनूंगा और नंगे पैर रहूँगा जब तक में सवा लाख पेड़ नहीं लगा लेता,हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए राकेश ने अपनी कार और दूसरा बहुमूल्य समान तक बेच दिया। ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिये दुनिया के सभी देश पेरिस समझौता लागू करने पर जोर दे रहे हैं,लेकिन राकेश अकेला ही इस समस्या से निपटने के लिये इस साल 10 फरवरी 2016 से पेड़ लगाने में जुटा हूँ। राजस्थान के जयपुर शहर के विराटनगर इलाके में रहने वाले 28 साल के राकेश मिश्रा अब तक करीब 45 हजार पेड़ लगा चुके हैं।
इसके अलावा अपनी संस्था ‘नया सवेरा संस्था’ के जरिये महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के अलावा गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं,राकेश को समाज सेवा की प्रेरणा अपने दादाजी श्री रामेश्वर प्रसाद मिश्रा से विरासत में मिली।वो खुद एक कलर्क थे साथ ही समाजसेवक भी। जो बचपन से ही राकेश को सामाजिक परेशानियों और उनके कारणों के बारे में जानकारी देते रहते थे।इस वजह से बचपन से ही राकेश का रूझान समाजसेवा की ओर हो गया।
जिसके बाद साल 2002 में उन्होने ‘नया सवेरा संस्था’ नाम से एक स्वंय सेवी संस्था की स्थापना की। राकेश अपने काम की शुरूआत पोलियो मुक्त अभियान के साथ की। इस अभियान के तहत वो नुक्कड़ नाटकों के जरिये लोगों को पोलियो के खिलाफ जागरूक करते थे लेकिन पेड़ लगाने का ख्याल उनको गाँवों में पहाड़ों से लकड़ियाँ काट कर ला रही महिलाओं को देखकर हुआ। की एक दिन सारे पेड़ कट जायेंगे तो विनाश हो जायेगा तब दिमाग में आया की अब पर्यावरण के लिए कुछ ऐसा करना है जो किसी ने ना किया हो,तब उन्होने महसूस किया कि पर्यावरण में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है और इसके लिये दिनों दिन कम होते पेड़ जिम्मेदार हैं साथ ही लोग भी जागरूक नहीं हैं।जिसके बाद उन्होने तय किया कि वो अकेले ही पेड़ लगाने का काम करेंगे साथ ही लोगों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करेंगे।इस तरह उन्होने इस साल 10 फरवरी से पेड़ लगाने की मुहिम को शुरू किया साथ ही उन्होने चार संकल्प लिये। राकेश मिश्रा के मुताबिक लिए गए संकल्प…..
जब तक मैं सवा लाख पेड़ नहीं लगा लेता तब तक मैं अपने घर नहीं जाऊंगा,नंगे पैर रहूंगा,दिन में एक बार भोजन करूंगा और नये कपड़े नहीं पहनूंगा और उन्होंने ऐसा सिर्फ पर्यावरण के लिए लोगों को जागरूक करके वृक्ष लगाने और उनकी जिम्मेदारी निभाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया,राकेश ने पहले चरण में पेड़ लगाने की शुरूआत अपनी संस्था ‘नया सवेरा संस्था’ के तहत विराटनगर से शुरू की।उनकी इस मुहिम में अब राजस्थान के अलावा हरियाणा और दिल्ली के लोग भी शामिल हुए।
अब तक वो कुल 44 हजार तीन सौ सत्रह पेड़ लगा चुके हैं।राकेश मिश्रा ने केवल सवा लाख पेड़ लगाने का ही लक्ष्य नहीं रखा है बल्कि उन पेड़ों की देखभाल का भी जिम्मा भी उठाया है। हालांकि उनके इस काम में अब
‘नया सवेरा संस्था’ के सदस्य भी उनकी मदद कर रहे हैं।,जिनमें संस्था की निदेशिका प्रियंका गुप्ता एवं संस्था की चेयरमैन आरती गौतम,राजस्थान कॉर्डिनेटर प्रिया शर्मा,डॉ.नीलम बागेश्वरी,महेश गुप्ता आदि शामिल हैं।
राकेश मिश्रा ने pnn 24 न्यूज़ को बताया कि पेड़ लगाने के काम में मेरे अब तक करीब सवा सात लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। इस काम को करने के लिए मैंने अपनी व्यक्तिगत चीजों को बेच दिया है।मेरी कोशिश है कि मैं इस काम को अपने बलबूते करूं,ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हों।पेड़ लगाने के अलावा राकेश मिश्रा ‘पर्यावरण के लिये युद्ध’ नाम से एक मुहिम भी शुरू कर चुके हैं। इस मुहिम के तहत वो लोगों को जागरूक करने के लिए जगह-जगह सभाएं आयोजित कर रहे हैं,।साथ ही वो नुक्कड़ नाटकों के जरिये भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं,।राकेश ने पहाड़ों में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ माफियाओं के विरूद्ध अभियान शुरू किया है।इस वजह से उन पर दो बार जानलेवा हमले भी हो चुके हैं।वो बताते हैं कि पहाड़ों में खनन की वजह से पहाड़ काटे जा रहे हैं ।जिस कारण पेड़ भी कट जाते हैं। इससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है।
जयपुर के स्लम और गांवों में रहने वाले बच्चों के लिए पिछले 8 महिनों से ‘नाइट स्कूल’ चला रहे हैं।इस स्कूल में दिन भर काम करने वाले एवम् जो बच्चे भीख मांगते हैं उनको पढ़ाया जा रहा है। और कुछ बच्चों ने इस मिशन के बाद भीख माँगना छोड़ भी दिया है, आध्यात्मिक और संस्कारी बच्चे बनें और हर बच्चा शिक्षित हो यही सोच से इस मिशन को शुरू किया गया! फिलहाल उनके इस स्कूल में करीब 80 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।राकेश मिश्रा के इस कार्य में उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलने वाले लोगों में मेघा गौडसे जो की ब्रांड एम्बेसडर हैं।
(बेटी की शिक्षा,बेटी की रक्षा) मनोज मन्नू तोमर,बॉलीवुड सिंगर उषा नैय्यर,गीता रौतेला आदि प्रमुख हैं,इसके अलावा ये संस्था स्लम में रहने वाले बच्चों के लिए ‘नया सवेरा पाठशाला’ भी चला रही हैं। जहां पर बच्चों को किताबें,स्टेशनरी और वर्दी मुफ्त में दी जाती है। फिलहाल ‘नया सवेरा संस्था’ विराटनगर में एक वृद्धाश्रम एवं बाल आश्रम बना रहा है। जहां पर ऐसे बुजुर्ग लोग रह सकेंगे जिनको उनके परिजनों ने ठुकरा दिया है। ऐसे बच्चे रहेंगे जिनका कोई अस्तित्व नहीं है। इस आश्रम में अस्पताल की भी व्यवस्था होगी।साथ ही ऐसी महिलाओं का भी इलाज होगा जो गरीब,विधवा असहाय होंगी ।
नया सवेरा संस्था ने महिलाओं को स्वरोजगार को लेकर 700 महिलाओं को 5साल में काबिल बनाया है।,और अपने दो प्रोडक्ट अचार और पापड़ का शुरू किया है जो उन्हीं महिलाओं के द्वारा बनाया जाता है और बेचा जाता है,महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है सेल्फ बनाने के लिए,जैसे सिलाई,कढ़ाई,बुनाई,हैण्ड वर्क के सभी प्रोडक्ट्स की ट्रेनिंग दिला रहे हैं।
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