इमरान सागर.
तिलहर/शाहजहाॅपुरः-पांच सौ और एक हजार रूपये का नोट भारत सरकार की ओर से बन्द हुये लगभग आज तेईसवा दिन है। नोट बन्दी से जनमानस के सामने आई गंभीर समस्या अभी भी कम होने का नाम नही ले रही हैं। जरूरत की बेताबी से पैसा निकालने बैंक आने वाले उपभोगता उस समय बड़े हताश नजर आते हैं जब बैंको में करेंसी न होने से बैंको के मुख्य द्वार पर जब ताले लटके नजर आते हैं।
नगर के स्टेशन रोड स्थित मोहल्ला कुंवरगंज बैंक आफॅ बड़ौदा के मुख्य द्वार पर बुधवार लगभग साड़े दस बजे कुछ एैसा ही नजारा दिखाई पड़ रहा था। बैंक खुलने का लम्बा समय बीतने के बाद भी मुख्य द्वार का ताला खुलते न देख दर्जनो की सख्या में मौजूद उपभोगताओं के चेहरे पर हवाईया उड़ती नजर आ रही थी। देखते ही देखते बैंक के बाहर उपभोगताअें की संख्या में इजाफा होता रहा और फिर देखते ही देखते उपभोगताओं ने हंागाम करना शुश्र कर दिया। लगभग दो घन्टे उपभोगताओं द्वारा हंगामा काटने के बाद बामुश्किल बैंक के कर्मचारी ने बाहर निकल कर बताया कि बैंक में पैसा नही है और इस लिये ही बैकं में ताला डाल कर रखा हुआ है। इससे पहले उपभोगताओं द्वारा बैंक के द्वार का ताला न खुलने से हताश उपभोगताओं के साथ बाचमैन जमकर अभ्रदता करता नजर आया।
सूत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार बैंको और ए0 टी0 एम0 मशीनो पर उपभोगताओं की लगी लम्बी कतारो में शायद ही कोई व्यापारी लगा नजर आया हो। मझोलो और छोटे व्यापारी एंव मजदूर तबका अपने परिवार का खर्च चलाने हेतु कभी एं0टी0एम0 मशनो पर तो कभी बैंको के कई कई चक्कर लगाते देखा जाता है क्यूंकि लम्बी लाई में जब तक उसका नम्बर आता है तब तक पैसा खत्म होने की सूचना मिलती है जिससे उसके चेहरे पर हताशा के भाव नजर आ रहे हैं। नोट बंदी के कारण कारोबार पर जहाॅ बड़ा फर्क पड़ता नजर आ रहा है तो वहीं मजदूरो की दिहाड़ी पर तो एक दम बैन लगा दिखाई पड़ने लगा है। प्रतिदिन बढ़ती समस्याओं से जूझता जनमानस जहाॅ भारत सरकार के नोट बन्दी फैसले से खुश नजर आ रहा था तो वहीं समस्याओं के लगातार बढ़ने से अब खुद को हताश महसूस कर रहा है। आकंड़े बताते हैं कि भारत सरकार के नोट बन्दी फैसले के बाद होने वाली गंभीर समस्याओं के निदान के लिये दिये गये निर्दोशो को ठीक से पालन न होने से समस्याये दिनो दिन बढ़ती नजर आ रही हैं।