मो आफ़ताब
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश सरकार, बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश के प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को बैठने के लिए बेंच बनाये जाने पर लगभग पौने चार हजार लाख रूपये खर्च आने का हाईकोर्ट को ब्यौरा दिया।
उच्च न्यायालय के विगत दिनों पारित इस आदेश पर कि प्राइमरी स्कूलों में बच्चे टाट-पट्टी पर बैठ रहे हैं, सरकार उन्हें बेंच पर बैठाने की भी व्यवस्था क्यों नहीं कर रही है? इस पर सरकार का कहना था कि समूचे उत्तर प्रदेश में लगभग एक लाख प्राथमिक स्कूल है और सभी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए बेंच पर बैठने की व्यवस्था करने में पौने चार हजार लाख रूपये का व्यय अनुमानित है। सरकार की तरफ से समय की मांग करते हुए कहा गया कि इतने वृहद स्तर पर खर्च के लिए वित्त विभाग व कैबिनेट का निर्णय आवश्यक होगा। कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मामले में कार्यवाही जारी रखे वह स्वयं इस मामले पर मानीटरिंग करेंगे।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने जालौन के कृष्ण प्रकाश त्रिपाठी की जनहित याचिका पर दिया है। लोवर प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलांें मंे टाट-पट्टी पर बैठ रहे बच्चों की दशा पर चिंतित हाईकोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था करे तथा कोर्ट को इस संबंध में अवगत कराए। उक्त खर्चे का ब्यौरा मांगने पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि प्राइमरी स्कूलों में एक से पांच तक कक्षाएं चलती हैं और प्रत्येक कक्षा में 32 छात्र रहते हैं। इस प्रकार एक कक्षा के लिए 16 बेंच जरूरी है। ऐसे में एक प्राइमरी स्कूल के लिए सोलह गुणा पांच बराबर पच्चासी बेंच चाहिए तथा अपर प्राइमरी स्कूल में तीन कक्षाएं चलती है। ऐसे में वहां पर एक स्कूल के लिए सोलह गुणा तीन बराबर अड़तालीस बेंच चाहिए। बताया गया कि इस फार्मूले पर लगभग एक लाख स्कूलों के लिए पौने चार हजार लाख रूपये खर्च आयेगा। कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 6 फरवरी को करेगी।