चंडीगढ़ के निकाय चुनावों के नतीजों में भाजपा और अकाली दल गठबंधन का दबदबा रहा है। भाजपा ने 25 सीटों में से 19 जीत लीं हैं। उसकी सहयोगी पार्टी अकाली दल ने एक सीट पर जीत के साथ खाता खोला है। विपक्षी दल कांग्रेस चार सीटों पर सिमट गई। कांंग्रेस ने नोटबंदी के मुद्दे को प्रचार के दौरान उठाया था लेकिन उसे फायदा नहीं हुआ।
यहां पर 25 सीटों पर रविवार(18 दिसंबर) को 57 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था। एक सीट पर मतदान नहीं हो पाया। नोटबंदी के बाद यह लगातार चौथा चुनाव है जहां भाजपा के पक्ष में नतीजे गए हैं। इससे पहले भाजपा ने महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के निकाय चुनावों में फतेह हासिल की थी। चंडीगढ़ निकाय चुनाव के परिणाम अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा-अकाली गठबंधन के लिए अच्छी खबर है। यह गठबंधन 10 साल से पंजाब की सत्ता में है।
कांग्रेस के लिए नोटबंदी के बाद हुए चुनावों में से कोई अच्छी खबर नहीं आई। इन नतीजों से पहले भाजपा ने महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में बड़ी कामयाबी हासिल की थी। उसके पहली बार 50 से ज्यादा मेयर और नगर परिषद सभापति चुने गए। यहां पर पहले चरण के नतीजों में 147 नगर परिषद के चुनावों में भाजपा को 52 सीट, शिवसेना को 23, कांग्रेस को 19 और एनसीपी को 16 पर जीत मिली है। अन्य उम्मीदवारों के खाते में 28 सीटें गर्इ हैं। वहीं 17 नगर पंचायतों के 3510 सदस्यों के लिए हुए चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को 851 सीटें मिली। राजस्थान और गुजरात में हुए निकाय उपचुनावों में भी भाजपा को जीत मिली थी।
गुजरात में भाजपा को वापी नगरपालिका चुनाव में 44 में से 41 सीटें मिली हैं वहीं सूरत के कनकपुर- कनसाड़ नगरपालिका में 28 में से 27 सीटों पर विजय मिली। विपक्षी दल कांग्रेस को वापी में तीन और कनकपुर-कनसाड़ में एक सीट से संतोष करना पड़ा।
वहीं जिला पंचायत, तालुका पंचायत और नगरपालिका उपचुनावों में भाजपा ने 23 और कांग्रेस ने आठ सीटें फतेह की थी। वहीं राजस्थान में पंचायत-पालिका उपचुनावों के परिणामों में सत्ताधारी भाजपा ने 19 सीटें, कांग्रेस ने 14 और निर्दलीयों ने 4 सीटें जीती हैं।