पूर्वांचल में भी अलग अलग दलों से आ सकते है बागी प्रत्याशी .
जावेद अंसारी/यासमीन खाॅन “याशी”
प्रदेश में चुनाव सर पर है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में ऐसे बागी हैं जो एक साथ दो-दो पार्टियों को नुकसान पहुंचाएंगे. सियासी जानकार बताते हैं कि यहां कुछ ऐसे भी लोग हैं जो जिन्होंने अपनी पुरानी पार्टी को छोड़कर नई पार्टी में इसलिए आस्था जताई थी कि चुनाव में यहां से टिकट मिल जाएगा. लेकिन उनकी टिकट की मनोकामना दूसरी जगह भी पूरी नहीं हो सकी.
आगरा में उत्तरी सीट पर कवि गोपालदास नीरज की पुत्री कुंदनिका शर्मा ने भाजपा छोड़कर सपा से टिकट हासिल कर लिया था. सपा की पहली सूची में उनका नाम था. लेकिन ऐन वक्त पर सपा ने उनका टिकट काट दिया. इसी तरह से फतेहाबाद से बसपा विधायक छोटेलाल वर्मा ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी. लेकिन उन्हें भी आखिरी मौके पर भाजपा से टिकट नहीं मिली. कांग्रेस और सपा के मामले में गठबंधन के चलते बहुत सारे नेता बागी होकर निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं. इसमें फिरोजाबाद की जसराना सीट से डॉ. रामगोपाल यादव के नजदीकी टिकट न मिलने की वजह से निर्दलीय लड़ रहे हैं.
कांग्रेस से भाजपा में आईं रीता बहुगुणा लखनऊ में अपनी पुरानी पार्टी को टक्कर देंगी. सपा के ही अंबिका चौधरी ने बसपा से टिकट हासिल कर परेशानी बढ़ा दी है. बेनी प्रसाद वर्मा भी सपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. नए-नए भाजपा में आए बसपा के पूर्व सांसद ब्रजेश पाठक भी परेशानी का सबब बनेंगे. कभी बसपा के खासमखास रहे स्वामी प्रसाद मौर्य खुद भी बेटे संग बसपा के खिलाफ बिगुल फूंक रहे हैं. अपनी पार्टी का विलय करने के बाद भी अंसारी परिवार सपा से बड़े बेआबरू होकर निकले हैं. अब बसपा के झंडे तले उन्होंने सपा को सबक सिखाने का खुला ऐलान कर दिया है.
मुख्तार अंसारी के भाई अफजल अंसारी का कहना है कि सपा ने हमारे ही नहीं मुसलमानों के साथ भी धोखा किया है. इस बात को हम खासतौर से इस चुनाव में तो भूलने वाले नहीं हैं. अलीगढ़ में सपा के मौजूदा विधायक हाजी जमीरउल्लाह टिकट कटने से बागी हो गए हैं. उन्होंने निर्दलीय नामांकन पत्र भर दिया है. वही वाराणसी में बीजेपी में दुसरे दल से आये एक नेता टिकट न मिलने से दुःख प्रकट करते हुवे बागी चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए है.