समीर मिश्रा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का मन बदल गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से गम्भीर चुनौती को महसूस करते हुए दोनों ने केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को विधानसभा चुनावों में भाजपा का चेहरा दर्शाने का फैसला किया है। यह फैसला किया गया है कि मोदी और अमित शाह के साथ राजनाथ सिंह के फोटो भी लगाए जाएं। समूचे चुनाव अभियान के दौरान भाजपा की तरफ से पोस्टरों और होर्डिग्स में 3 एक ही आकार के प्रधानमंत्री, भाजपा अध्यक्ष और राजनाथ सिंह के पोस्टर लगाए जाएंगे। मगर राजनाथ सिंह को पार्टी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया जाएगा।
यूपी में राजनाथ सिंह हो सकते हैं भाजपा का चेहरा
मोदी और शाह को राजनाथ के नाम की कड़वी गोली निगलनी पड़ेगी क्योंकि अखिलेश यादव सबसे अधिक लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं। पिछले 2 सप्ताहों के बाद कई अधिवेशनों के दौरान यह फैसला किया गया है कि अगर भाजपा 14 वर्षों के वनवास के बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता पर फिर से काबिज होना चाहती है तो उसे अपने सबसे वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह को महत्व देना होगा। मोदी और शाह इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि अखिलेश रालोद, जद (यू), कांग्रेस, राकांपा, टी.एम.सी. जैसी सभी समान विचार वाली पार्टियों के नेता के रूप में भी उभर सकते हैं। इसलिए मोदी और शाह ने उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी राजनाथ सिंह के कंधों पर डालनी चाही। राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान के प्रभारी का काम सौंपा जा सकता है।
नोटबंदी के बाद मोदी हुए नरम
मोदी ने महसूस किया है कि उनका नोटबंदी का जुआ सरकार को भारी-भरकम लाभ पहुंचाने में विफल रहा है। इसके बाद वह बैकफुट पर आ गए और कुछ नरम पड़ गए। मोदी के मन की बात उस समय देखने को मिली जब उन्होंने कोर ग्रुप की बैठक अचानक बुलाने का फैसला किया। इस ग्रुप के मोदी, अमित शाह, अरुण जेतली, राजनाथ, नितिन गडकरी और वेंकैया नायडू सदस्य हैं। मोदी नोटबंदी के बाद के प्रभाव पर वरिष्ठ सहयोगियों से जानकारी चाहते थे। यह शाह ही थे जिन्होंने बात की और उन्हें सूचित किया कि पार्टी के परम्परागत वोट बैंक की कीमत पर गरीब श्रेणियों के मतदाताओं को नहीं जोड़ा जा सकता। प्रधानमंत्री द्वारा 31 दिसम्बर को मध्य श्रेणी और अन्य वर्गों के लिए की गई घोषणाएं परम्परागत मतदाताओं के लिए एक तोहफा थीं।