थाने से लेकर सिपाहियो तक की बंधी रहती है रकम
सिपाहियो ने छीन लिए थे 42 हजार रूपये
अनंत कुशवाहा
अम्बेडकरनगर। तो जिले से गोवंशों को सकुशल पार कराने का ठेका खाकी ने ही ले रखा था। रविवार की रात पुराने तहसील तिराहे पर हुए हंगामे के बाद जो खुलासा हुआ उससे पुलिस अधिकारियों के भी होश उड़ गए। पुलिस अधीक्षक ने आरोपी तीनो सिपाहियों को तो निलंबित कर दिया लेकिन इससे क्या गोकशी के मामलो पर अंकुश लग सकेगा ,इसकी संभावना कम ही है।
गोवंशों की तस्करी के मामलो से इस जिले में तैनात सिपाहियो का पुराना रिश्ता रहा है। दो साल पूर्व मालीपुर मार्ग पर स्थित बंजारा बस्ती में जब तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अमरेंद्र बाजपेयी ने छापा मारा था उस दौरान एस ओ जी में तैनात सिपाहियो की भूमिका सामने आयी थी। खाकी पर कलंक लगते देख उस समय अधिकारियो ने मामले को दबा लिया था लेकिन सच्चाई सामने आ चुकी थी। रविवार की रात हुयी घटना के बारे में जो जानकारी मिली वह और शर्मसार करने वाली है। कस्बा चैकी पर तैनात तीनो सिपाही तिराहे पर मस्जिद के पास सफेद रंग की गाड़ी में बैठकर रात १२ बजे के आसपास नशे का सेवन कर रहे थे। जब क्षेत्राधिकारी की मौजूदगी में कस्बा चैकी प्रभारी सन्तोष सिंह ने गाडी के पास जाकर देखा तो तो तीनों सिपाही गाली देते हुए उन्हें दौड़ा लिए। हालांकि उस समय मामला शांत हो गया। इसके दो घण्टे बाद ही फैजाबाद मार्ग पर कृष्णा ढाबे के निकट गोवँशो से लदी एक डीसीएम को रोकने की सूचना मिली। यह सूचना उन्ही सिपाहियो ने दी लेकिन सूचना लेन देन को लेकर थी। पुलिस अधिकारी जब तक वँहा पहुंचते तब सिपाहियो ने डी सी एम को वँहा से आगे भेज दिया। पुलिस ने उसे रास्ते में रोका। पूछताछ में पता चला कि सिपाहियो ने उनसे 42 हजार रुपया छीन लिया। तलाशी में उनके पास केवल एक मोबाइल मिला। क्षेत्राधिकारी द्वारा लिए गए बयान में पता चला कि सिपाही चालक की मोबाइल पर उसी समय से फोन कर रहे थे जब वह जुबेर गंज से चलने वाला था। यह भी पता चला कि अहिरौली थाने में वे १२०० रुपया देते थे जबकि कस्बा चैकी के सिपाही १५ सौ रुपए लेते थे।बसखारी पुलिस के हिस्से में भी १२०० सौ रूपये आते थे। इसी प्रकार हर मार्ग हर थाने का हिस्सा बंधा होने की बात सामने आयी। फिलहाल पूरा मामला सामने आने के बाद एस पी ने उन्हें निलंबित कर दिया है लेकिन क्या इतने मात्र से ही खाकी पर लग रहे कलंक को धोया जा सकेगा,इसकी उम्मीद नही है।