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चेकिंग या आमजन का उत्पीड़न

इमरान सागर/तिलहर (शाहजहांपुर)
पांच सौ और एक हजार रूपये के नोट बंदी आदेश के बाद देश में आमजन को होने वाली तमाम परेशानियो को दोखते हुए सरकार समय समय पर कानून में बदलाव कर राहत देने का प्रयास करती रही! नई करेंसी और ब्लैक मनी की पकड़ा धकड़ी भी जम कर होती रही तो वही बैंको से पैसा निकलने और नगदी पास रखने की सीमा तय करने के साथ ही यह भी आदेश जारी कर दिया कि 20,000 से अधिक का लेन देन चेक द्वारा ही किया जा सकता है! यानि यदि इस आदेश को मान लिया जाएे तो व्यापारियो का एक वर्ग बीस हजार रुपये तक की नगदी रख कर सामान लाने के लिए जा सकता है। यदि भारत सरकार की ओर से उक्त आदेश सही है तो फिर अचार सहिंता लागू होते ही वाहन चोकिंग के नाम पर चौपहिया वाहनो में  बैठी विभिन्न सबारियों की जेब की पचास हजार तक की सारी नगदी ब्लैक मनी कैसे हो सकती है  यह उस समय प्रश्न खड़ा करती है जब वर्तमान में प्रदेश मे होने वाले बिधान सभा चुनाव के मद्देनज़र अचार संहिता के पालन में हाईवे पर स्थानीय पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग के दौरान चौपहिया वाहन में विभिन्न सबारियों के पास से कुल लगभग पचास हजार की नगद रकम पाई जाती है! जहाँ ढाई लाख तक पर सालाना  इन्कम टैक्स छूट और बीस हजार रुपये तक कारोबार के नगदी रखने की छूट है तो वही तीन आदमियों से बरामद पचास हजार की रकम भी ब्लैक मनी हो सकती है।
सूत्रो की माने तो बीते शनिवार हाईवे चेकिंग के दौरान स्थानीय पुलिस के चेकिंग स्कायड को चेकिंग के दौरान पूंछ ताछ और तलाशी में  एक जीप से कुल तीन लोगो के पास से लगभग पचास हजार रुपये बराम हुए थे जिन्हे कोतवाली लाया गया! उक्त तीनो में से एक के पास से बरामद लगभग सात हजार रुपये की जानकारी मे उसने खुद को हार्ट का मरीज़ बताया और दबाई लाने का जिक्र किया परन्तु अन्य दो से पूरा व्योरा मागा गया! अपने जरा से पैसे का हिसाब अब परिवार और सरकार को न देकर पुलिस को चेकिंग अभियान के समय देना होगा, इस हालात में चेकिंग के नाम पर उत्पीड़न नही तो फिर क्या नाम दिया जाए यह सोचनीय है! भारत सरकार द्वारा जहाँ नियमो को आमजन की सहुलियत के लिए बनाया जा रहा है तो वही इसका पालन करने और कराने वाले सभी नियमो को ताक पर रखते हुए अचार सहिंता का नाम देकर आमजन का मात्र उत्पीड़न होना ही कहा जाएगा।
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