उन्होने जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से रामपुर विधानसभा से टिकट देने को कहा, तो उन्होने वहाँ से अपने प्रबल समर्थक अरविंद सिंह गोप को टिकट देकर उनके बेटे को क़ैसरगंज से टिकट दे दिया। इसे उन्होने अपना अपमान माना। कांग्रेस के साथ अखिलेश का गठबंधन होने के कारण वे वहाँ जा नहीं सकते थे, इसलिए भारतीय जनता पार्टी का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया। उन लोगों ने भी न तो दरवाजा खोला और न ही उनके बेटे को बाराबंकी की रामनगर सीट से टिकट ही देने पर राजी हुये। अब तो बेनी वर्मा के बारे मे यही कहा जा सकता है कि न खुदा ही मिला, न बिसाले सनम ।
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