(बलिया)। तहसील दिवस पर दिये गये आवेदनों को कागजों में निस्तारित दिखाकर अपना पल्ला झाड़ लेने का फैशन अधिकारियों के कारगुजारियों पर प्रमाणिक तौर पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे है। जी हां ऐसा ही एक मामला रसड़ा ब्लाक के रसूलपुर गांव के लोगों के साथ घटित हुआ है।
जहां छह माह से जले विद्युत ट्रांसफार्मर को बदले जाने के बावत तहसील दिवसों पर दिये गये प्रार्थनापत्र के सापेक्ष ट्रांसफार्मर तो नहीं बदला गया बल्कि कागजों में ही निस्तारित होना दिखाकर रिपोर्ट प्रस्तुत कर दिया गया। जिसके कारण धान की खेती से हाथ धो चुके किसानों को गेहूं की खेती करना भी टेढ़ी खीर प्रतीत हो रहा है। विदित हो कि गांव के प्रधानप्रतिनिधि देवेश तिवारी द्वारा तहसील दिवस पर 9 दिसंबर 2016 को प्रार्थनापत्र देकर गांव के जले 25 केबीए के ट्रांसफार्मर को किसान व खेती के हित में बदलवाने की मांग की थी। जिसपर सम्बंधित विद्युत अधिकारियों को अपेक्षित निर्देश दिये गये थे। दुर्भाग्य का विषय है कि जहां ट्रांसफार्मर तो नहीं बदला गया किन्तु 29 दिसंबर को प्रेषित रिपोर्ट में प्रार्थनापत्र को निस्तारित होना दर्ज करा दिया गया। जिसे जन सुनवाई बेबसाइट पर भी देखा जा सकता है। उन्होंने इस घोर लापरवाही के तरफ जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया है।