68 वें जम्हूरिया के मौके सज़ी मुशायरा महफिल
इमरान सागर
तिलहर,शाहजहाँपुर:-यौमे जम्हूरिया (गणतन्त्र दिवस) के खुश गवार मौके पर बज्म-ए- मीर सोज़ तिलहर की जानिब से शायर शिफा तिलहरी के दौलत क़दे पर वतन के नाम एक शानदार मुशायरे का एहतिमाम किया गया जिसकी सदारत बुजुर्ग शायर हमीद तिलहरी ने की व निजामत नौजवान शायर हसन तिलहरी ने की!
नगर के मोहल्ला चौहटिया इमली स्थित डा० उबैस खान शिफा के आवास पर सजी शायरो की महफिल में, चंद शायरों की शायरी आपके पेशे नज्र है.
गरीबी में बसर करना गवारा जब नहीं तुम
को हम अपना रास्ता देखें तुम अपना रास्ता देखो.
रईस तिलहरी
हम खुशनसीब हैं जो सजाते हैं महफिलें
बज्मे सुखन ये आज शहीदो के नाम है
हमीद तिलहरी
सिर्फ हम ही नहीं ज़माने में
हर कोई होशियार तुम से है
डाॅ0 रेहान
जब भी चलता है सुखनवर का क़लम कागज पर
नक्श होते हैं ख्यालात के गम कागज पर
शमशाद आतिफ
मगरिबी मुल्कों के साजिद लोग शैदा हों तो हों
परचमे हिन्दोस्तां का लहलहाना और है
साजिद सफदर
एक पत्ता तक शजर का सिर्फ साया ही नहीं
शाख से लिपटा रहा जब तक हवा देता रहा
जर्रार तिलहरी
बादलों तुमने क्यों ये ज़हमत की
हम भी लम्हों में रोने वाले थे
अदीब तिलहरी
मैं समन्दर हूं भंवर मुझमे पला करते हैं
देख मुझसे न उलझ पहले शनावर हो जा
रेहान मुबारक तन्हा
सिर्फ इक बार लगाया था उसे सीने से
आज तक खुशबुए एहसास नहीं जाती है
वाजिद हुसैन वाजिद
नफरत न आप बोइए बज्मे सुखन में
मैं दे रहा हूं वास्ता उर्दू ज़बान का
हसन तिलहरी
फिजाओं में उड़ाते वायरस जो लोग नफरत के
उन्हें मालूम तो होगा वतन के लोग मरते हैं
उवैस खान शिफा
मेहमाने खुसूसी शायर हाशिम तिलहरी की सरपरसती में मुशायरा देर रात तक चला सरताज शाहजहांपुरी अकरम तिलहरी जुनैद तिलहरी रईस मन व शकील तिलहरी ने भी अपने कलाम पेश किये मुशायरा देर रात तक चला आखिर में शिफा तिलहरी ने सबका शुक्रिया अदा किया ।