(जावेद अंसारी)
80 के दशक से चले आ रहे नोएडा ना जाने की मिथक को तोड़ने का फैसला किया है यूपी के सीएम और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने। बता दें कि उत्तरप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावी दंगल में विरोधियों को पटखनी दे कर फिर से यूपी की सत्ता पर काबिज होने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश चुनावी रण में कुद चुके हैं। बता दें कि 80 के दशक से नोएडा ना जाने की मिथक को इस बार तोड़ने का प्रयास अखिलेश यादव कर सकते हैं। आपको बता दें कि अखिलेश 2012 में यूपी के सीएम पद पर बैठे। वे तब से लेकर अब तक अपने पूरे कार्यकाल में एक बार भी नोएडा नहीं आए। लेकिन अब अखिलेश यादव बहुत जल्द नोएडा में चुनावी सभा करते नजर आ सकते हैं। लखनऊ से प्रदेश पार्टी कार्यलय ने यह सूचना कन्फर्म करके जिले में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों तक भेजी है। दरअसल, नोएडा को लेकर यह मिथक है कि जो भी मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में यहां आता है, वह सत्ता में वापसी नहीं कर पाता।
शायद यही वजह है कि अपने पूरे कार्यकाल में सीएम कई बड़े कार्यक्रम होने के बावजूद यहां आने से बचते रहे। हालांकि आधिकारिक तौर पर उनके न आने की वजह कुछ और बताई जाती थी। पिछले 5 सालों में नोएडा में कई बड़े कार्यक्रम हुए। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के दौरे भी हुए, पर प्रोटोकॉल को नजरअंदाज करते हुए अखिलेश एक बार भी अगवानी के लिए यहां नहीं पहुंचे। नोएडा से शुरू हुई कई योजनाओं का उद्घाटन उन्होंने लखनऊ से ही किया। बताया जाता है कि नोएडा आकर सत्ता गंवाने से जुड़ा यह अंधविश्वास 80 से दशक के आखिर में शुरू हुआ था। 1989 में नोएडा जाने वाले एनडी तिवारी सत्ता से बाहर हो गए थे। 1995 और 1999 में कल्याण सिंह पर भी नोएडा का दौरा भारी पड़ा था। मुलायम ने भी नोएडा दौरे के बाद सीएम की कुर्सी गंवा दी थी। 2009 और 2011 में सीएम रहते नोएडा आने वाली मायावती भी 2012 में सत्ता में वापसी नहीं कर पाई थीं।
बहरहाल, नोएडा विधानसभा सीट पर राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह के चुनाव मैदान में उतरने के बाद एसपी का फोकस इस सीट पर बढ़ गया है। समाजवादी पार्टी बीजेपी में उपजी कलह का फायदा उठाने के लिए नाराज वोटरों को अपने पक्ष में करने की पूरी ताकत लगा रही है। ज्यादातर कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि अखिलेश यादव चुनावी सभा करने नोएडा आएं, उधर बिहार और पूर्वांचल से जुड़े वोटरों को रिझाने के लिए पार्टी लालू यादव की जनसभा चाहती है।