लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों में से पहले चरण के तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 15 जिलों की जनता अपने 73 उम्मीदवारों के लिए शनिवार को मतदान कर रही है। इन 73 सीटों के लिए कुल 839 उम्मीदवार मैदान में हैं। भाजपा और बसपा ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। रालोद ने 57, सपा ने 51, कांग्रेस ने 24 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि 291 निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं
मतदान के पहले चरण में कुल 26017075 मतदाता हैं। इनमें से 14249799 पुरुष मतदाता और 11765768 महिला वोटर हैं, जबकि 1508 थर्ड जेंडर मतदाता भी पहले चरण में बनाए गए कुल 26823 मतदान केंद्रों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कर रहे हैं। इस चरण में कुल 70 चुनावी मैदान में हैं।
बता दें कि 2012 में 15 जिलों की 73 सीटों पर 61.03 फीसद मतदाताओं ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया था। चुनाव आयोग को इस बार रिकार्ड मतदान की उम्मीद है। उम्मीद होनी भी चाहिए, क्योंकि मतदाता जागरुकता रैली, गोष्ठी और मानव श्रृंखला आदि में मतदाताओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी की है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश दंगों के बाद से लगातार गर्मा रहे सियासी माहौल में वोटों का ध्रुवीकरण भी इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है। खत्म होती सर्दी का मौसम भी मतदाताओं के मिजाज के अनुकूल है। गौरतलब है कि वोट प्रतिशत की घटत-बढ़त सियासी दलों के लिए बेचैनी का सबब बनती है। शहरी क्षेत्रों में मतदान कम हो तो भाजपा सहम जाती हैं। ग्रामीण मतदाताओं की उदासीनता सपा, बसपा व रालोद को परेशान करती है। अब देखना है कि मतदान के पहले चरण में 2.60 करोड़ से अधिक मतदाताओं में अपने अधिकार का प्रयोग कितने करते हैं? 2007 के विधानसभा चुनाव जब मई की तपती गर्मी में हुए थे तब 45.96 फीसद मतदाता निकले थे। 2012 का विधानसभा चुनाव फरवरी-मार्च में हुआ तो 59.40 फीसद ने मताधिकार का प्रयोग किया।