करिश्मा अग्रवाल (विशेष संवाददाता)
आपने देवी के 51 शक्तिपीठों के बारे में तो ज़रूर सुना होगा। पर क्या आप जानते है कि इन्ही शक्तिपीठों में से एक पाकिस्तान में भी स्थित है। विभिन्न शास्त्रों में उल्लेखित शक्तिपीठों की संख्या यूं तो भिन्न है परंतु शिवचरित्र और देवीपुराण के अनुसार बताये गये 51शक्तिपीठ ही अधिक प्रचालित हैं जिनमें से भारत मे 42,बांग्लादेश में 4,नेपाल में 2,तिब्बत में 1,श्रीलंका में 1,और पाकिस्तान में 1 शक्तिपीठ विराजमान है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सिंध राज्य की राजधानी कराची में 120 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र में दुर्गम पहाड़ियों के मध्य हिंगलाज में यह ‘हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ’ स्थित है।
कहा जाता है कि दक्ष यज्ञ में सती के आत्मदाह उपरांत जब भगवान् शिव सती के शव को कंधे पर रख कर, रौद्र रूप धर कर तीनों लोकों को नष्ट करने के लिये तांडव करने लगे तो भगवान् विष्णु ने ब्रह्माण्ड की रक्षा करने हेतु माँ सती के शव के 51 टुकड़े कर दिये। यह टुकड़े जहाँ जहाँ गिरे वहां वहां माता के शक्तिपीठ स्थापित हो गये और हिंगलाज में माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। एक लोकगाथा के अनुसार चारणों की प्रथम कुलदेवी माँ हिंगलाज थीं।वहीं एक मान्यतानुसार हिंगलाज देवी को पांडवो और क्षत्रियों की कुलदेवी के रूप में भी जाना जाता है। एक कथा यह भी प्रचालित है कि रावण के वध के उपरांत भगवान् राम ब्राह्मण हत्या का पाप धोने यहां आए और तपस्या की। भगवान् परशुराम के प्रकोप से यहां क्षत्रियो की रक्षा हुई थी यह धारणा भी प्रचालित है। परंतु अधिकतर भारतीय इस शक्तिपीठ के बारे में जानते ही नहीं हैं कि पड़ोसी देश में इतना प्राचीन शक्तिपीठ है यह हिंदू व मुस्लिम दोनों ही संप्रदायों की श्रद्धा का केंद्र है हिंदुओं के लिए यह शक्तिपीठ और मुस्लिम के मध्य नानी पीर के स्थान के रूप में यह प्रचालित है। हिंगलाज माता के मात्र दो ही मंदिर हैं। एक पाकिस्तान में और दूसरा भारत के मध्य प्रदेश के छिदंवाडा जिले में।