वीनस दीक्षित
भोले की महिमा अपार है।एक पर्चे पर शिव स्तुति नहीं हो सकती।पर आज के दिन थोड़ा तो शिव भक्तों को बताना चाहूंगी। आज शिवरात्रि का पर्व घर घर मनाया जा रहा । महा देव को खुशकरने वाले दस व्रत में सबसे प्रिय व्रत शिव रात्रि है। जो की शिवपुराण के अनुसार माघमास के कृष्णसमय मे शिवरात्रि तिथि का विशेष महत्व है। जिस दिन आधी रात के समय तक वह तिथि विधमान हो,उसी दिन उसे व्रत के लिये ग्रहण करना चाहिये। शिवरात्रि इसी दिन मनायी जाती है। शिवरात्रि करोडों हत्याओं के पाप का नाश करने वाली है। शिवरात्रि को व्रतराज के नाम भी जाना जाता है। वाराणसी को शिव का घर माना जाता है। भोले के त्रिशूल पर काशी स्थिर है। शिव को काशी में रहना पसंद है और भक्तों को उन्हें खुश रखना। शिवपुराण के अनुसार शिव के वरदान से ये काशी समस्त तीर्थ का सार है इसलिये इसे अविमुक्त तीर्थ कहाँ गया है। शिवरात्रि काशि वासियों के लिये विशेष महत्व रखती है। घर घर महादेव भजनों से गुंजामय हो रहा है शाम ढलते ढलते भोले की नगरी शिवमय हो जायगी। बाबा विश्व्नाथ के दर्शन को भोर से ही कतार लग जाती है। काशी में भांग, धतूरे बैलपत्रि भस्म से घर- घर महादेव का श्रींगार किया जाता है दुग्थ रुद्राअभिषेक से स्नान कर शाम को शिव बरात जगह जगह के शिवालय से निकलती है पूरा वाराणसी शिवमय हो रहा होता है।
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एक अच्छा लेख है। परन्तु हां, और अच्छा लिखने की सम्भावनाइस लेख में व्याप्त है। अस्तु!हर हर महादेव।