शबाब ख़ान
उत्तर प्रदेश चुनाव बहुत बड़ा राजनीतिक दांव लगा है और ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि नेताओं के एक दूसरे पर वार-पलटवार का सिलसिला तीखा होता जाए। इसके बावजूद भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह का ताजा बयान पतन की एक नई गहराई है। उन्होंने अपनी पार्टी के खिलाफ पूरे विपक्ष को कसाब कह दिया है। क से उनका मतलब कांग्रेस जबकि सा और ब से समाजवादी पार्टी और बसपा से है। अमित शाह का कहना है कि उत्तर प्रदेश को मुक्ति चाहिए तो वोटरों को इन तीनों से छुटकारा पाना होगा।
कसाब एक ऐसा नाम है जिससे भारत में नफरत की जाती है। हो भी सकता है कि इस बयान से भाजपा को कुछ वोटों का फायदा हो जाए। उत्तर प्रदेश में इस बार मुकाबला कांटे का है और वोटों में जरा भी इधर-उधर काफी मायने रखता है। पर क्या यह फायदा देश के हित से ज्यादा मायने रखता है। ऐसे हल्के बयानों से आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई की मजाक उड़ता है। अमित शाह के इस बयान का मतलब यह है कि जो भी भाजपा का विरोध करता है वह आतंकवादी है जिससे उस आंतकी अपराध की गंभीरता कम होती है जो कसाब ने किया था।
अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में गुंडागर्दी को लेकर भी सत्ताधारी पार्टी पर हमला बोला। वे यहां तक कह गए कि अगर भाजपा सत्ता में आएगी तो गुंडों को उल्टा टांग दिया जाएगा। लेकिन दिलचस्प है कि इस तरह की गुंडागर्दी को बुधवार को दिल्ली में खूब समर्थन मिला जब भाजपा से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली विश्वविद्यालय में जमकर तांडव किया। दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोकने के बजाय उन पत्रकारों के साथ मारपीट की जो हिंसा की इस कार्रवाई को दर्ज कर सिर्फ अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहे थे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के आंकड़े बताते हैं कि अब तक उत्तर प्रदेश चुनाव के जो चार चरण हुए हैं उनमें उतरे भाजपा उम्मीदवारों में 30 फीसदी से ज्यादा ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। शायद जो शीशे के घरों में रहते हैं उन्हें दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।