फारुख हुसैन
लखीमपुर (खीरी)= पलिया कलां=लखीमपुर (खीरी) जिले के तहसील पलिया कलां में पुलिस प्रशासन की अनदेखी के चलते शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से बेलगाम हो चुकी है। वाहन चालको में अब पुलिस का खौफ नही होने से खुलेआम यातायात नियमों की धज्जियॉ उड़ रही है । इस कारण वाहन चलाना मुश्किल हो गया है दुर्घटना का अदेंशा हमेशा बना रहता है नाबालिक बच्चे तेजी से सड़कों पर वाहन दौडा़ते देखे जा सकते हैं ।चुनाव होने के समय तो कुछ व्यवस्थाये सुधरी भी लेकिन चुनाव खत्म होते ही फिर वही हाल हो गया एक कारण यह भी है कि जब वाहनों की चेकिंग अभियान में कोई वाहन चालक पकड़े भी जाते हैं तो वह ले दे कर छूट जाते हैं ।
उल्लेखनीय है कि शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद सुधरने का नाम नहीं ले रही है।तहसील पलिया क्षेत्र के साथ -साथ व्यस्ततम मुख्य मार्ग ,चौराहों आदि प्रमुख स्थानों पर लगातार यातायात नियमों की धज्जियां उडाई जा रही हैं। बस स्टैंड, सिनेमा चौराहा मार्ग पर बिगड़ी यातायात व्यवस्था नजारा दिनभर देखा जा सकता है। इसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दिन में यहां कई बार छोटे हादसे भी होते रहते हैं लेकिन सबसे ज्यादा यातायात नियमों की मखौल हमारे सिनेमा चौराहे पर उड़ाते देखा जा सकता है जहाँ गन्नों से भरे ओवर लोड ट्रक भारी मात्रा में गन्ना फैक्टरी पर ले जाते देखा जा जाता है,जहाँ अक्सर दुर्घटना होने की संभावना लगी रहती है अभी कुछ दिन पूर्व ही गन्ने से भरा ओवर लोड ट्रक चौराहे से होटल के नजदीक से मोड़ने के साथ ही मार्ग के धंस जाने से एक बड़ा हादसा होने से बच गया यदि हादसा हो जाता हो होटल में बैठे ग्राहक और होटल मालिक असमय ही काल के गाल में समा जाते परंतु यह सब देखकर भी अभी तक प्रशासन लापरवाही बर्तने से बाज नही आ रहा है और अभी भी धड़ल्ले से गन्नो से भरे वाहन आ जा रहे हैं । इसके अलावा यहां सड़क के दोनों ओर बनी दुकानों के सामने दुकानदार और ग्राहकों द्वारा वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। इससे आधी सड़क तो पार्किंग में तब्दील हो जाती है।
क्षेत्र में ट्राफिक पुलिस न होने से हादसों के आकडे बढे
क्षेत्र में ट्राफिक पुलिस न होने से हादसों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है इस माह में दर्जनो के हिसाब से हादसे हुए हैं इन हुए हादसों को देखकर यह ही आँका जा रहा है कि अधिकतर हादसे यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण ही हुए हैं ।परंतु एक बात तो है जब कोई वीआईपी आता है तो यातायात नियमों को तुरंत पुलिस प्रशासन द्वारा पूरी तरह से लागू कर दिया जाता है। परंतु उनके जाते ही फिर वहीं ढाक के तीन पात।अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण के दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा यातायात नियमों को पूरी तरह से लागू किया गया था जिसके कारण सब कुछ सामन्य था परंतु चुनाव खत्म होने के बाद प्रशासन फिर लापरवाह हो गया। हाँ एक बात तो है कि यह सब रोकने में ट्राफिक पुलिस का सहयोग देखा जाता है परंतु क्षेत्र में ट्राफिक पुलिस के न होने से यह सब संभव नहीं हो पाता है।
फुटकर फल मंडी न होने से भी लोगों को हो रही परेशानी
इसके अलावा वाहनों की सबसे ज्यादा रेलमपेल मेला गेट के सामने ही होती है। मुख्य गेट के सामने ही दो पहिया वाहन बेतरतीब ढंग से खड़े किये जाते है और दूसरी ओर गेट के आस पास लगाये गये फलों के ठेले भी कोई फुटकर फल मंडी न होने से भी लोगों को परेशानियां होती हैं और भारी भीड़ होने के कारण भी हादसों की सभंवानाये बढ़ रही है इस कारण लोगों को निकलने में भी परेशानी होती है और यातायात का दबाब बना रहता है। लोगों को यातायात में परेशानी उठानी पड़ती है।
चार सवारी को रोकने में नाकाम अमला :
नगर में लगातार हो रहे सड़क हादसों के बावजूद युवा वर्ग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। आलम यह है कि एक बाइक पर चार-चार युवक सफर कर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं जिसे रोकने टोकने बाला कोई नहीं है। दौड़ रहे तिपहिया वाहनों की कमान नाबालिग हाथों में है तो चार सवारियां बाईक पर ले चलने में भी कोई गुरेज नहीं है। तीन सवारियां तो बाईकों पर आम है। ऐसी स्थितियों में दुर्घटनाओं को सहर्ष न्यौता दिया जा रहा है इसके साथ ही युवा वर्ग के द्वारा वाहनों पर हूटर लगवाने का चलन जोरों पर है जिसके कारण भी दुर्घटनाओं में तेजी हुई है । पुलिस को ऐसे मामलों पर गौर करने की भी आवश्यकता है।