यशपाल सिंह
भासपा का साथ मिलते ही बीजेपी ने बिगाड़ा बैजनाथ पासवान का ‘खेल
मऊ। मोहम्मदाबाद गोहना सीट पर सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। इस सीट से वर्तमान सपा विधायक के अलावा तीन पूर्व मंत्री मैदान में हैं। लिहाजा दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस सीट पर सपा प्रत्याशी बैजनाथ पासवान की साख दांव पर लगी है। उन्हें बीजेपी प्रत्याशी श्रीराम सोनकर से कड़ी टक्कर मिल रही है। खासतौर से भासपा साथ पाकर श्रीराम सोनकर ने बैजनाथ पासवान का ‘खेल’ बिगाड़ दिया है।
क्या है सियासी समीकरण
अनुसूचित जाति बहुल इस सीट पर हमेशा ही बाहरी उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। हालांकि पिछले चुनाव में ये मिथक टूट गया। समाजवादी पार्टी के बैजनाथ ने जीत हासिल की। इस सीट पर बीजेपी-भासपा गठबंधन की ओर से श्रीराम सोनकर हैं तो वहीं बीएसपी की तरफ से राजेंद्र कुमार मैदान में हैं। भाजपा और बसपा प्रत्याशी पूर्व में दो-दो बार विधायक और मंत्री रह चुके हैं। मोहम्मदाबाद गोहना सीट से भाजपा, बसपा और सपा प्रत्याशी अपनी जीत के तर्क दे रहे हैं। सपा प्रत्याशी को जहां सपा सरकार के विकास और जातीय समीकरणों का भरोसा है। वहीं भाजपा और बसपा प्रत्याशी जातीय समीकरणों, कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सपा सरकार की विफलता को मुद्दा बनाया है।
भासपा का साथ मिलने से मजबूत हुई बीजेपी
सियासी पंडितों की माने तो भासपा का साथ मिलने से बीजेपी उम्मीदवार श्रीराम सोनकर की स्थिति मजबूत हुई है। उन्हें उम्मीद है कि बीजेपी की परंपरागत वोटों के अलावा राजभर जाति का भी उन्हें साथ मिलेगा। 366252 मतदाता वाले इस सीट पर ब्राह्मणों की संख्या 14 हजार है वहीं राजपूत बिरादगी की संख्या 35 हजार है। जबकि अन्य जातियों की संख्या 20 हजार है।
वहीं दूसरी ओर विकास के मुद्दे पर सपा प्रत्याशी बैजनाथ पासवान की हालत पतली है। आधारभूत समस्याओं से जूझ रही जनता बैजनाथ पासवान से उनके कामों का हिसाब मांगने के लिए तैयार बैठी है।
विधानसभा क्षेत्र की समस्याएं
मोहम्मदाबाद गोहना(सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र में रोजगार की दृष्टि से कोई बड़ा सरकारी उद्यम नहीं है। सरया बंदी घाट गांव के पास टौंस नदी पर काफी समय से पुल बनाने की मांग की जा रही है। लेकिन आज तक पुल की मांग पूरी नहीं की जा सकी है। मोहम्मदाबाद गोहना कस्बा सहित आसपास के कई गांव जैसे अतरारी, खैराबाद और वलीदपुर बुनकर बाहुल्य क्षेत्र हैं। बिजली बुनकरों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। हालांकि अब बिजली आपूर्ति में सुधा रहुआ है। मुख्य मार्गों की स्थिति ठीक है पर गांवों को जोड़ने वाले अधिकतर संपर्क मार्ग खस्ताहाल अवस्था में हैं। पेयजल भी इस क्षेत्र की एक बड़ी समस्या बना हुआ है।
विगत 25 वर्षों के चुनाव
परिणाम पर नजर डालें तो 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी फौजदार राम ने 58216 मत प्राप्त कर विजय प्राप्त की थी। भाजपा के श्रीराम सोनकर 36215 मत प्राप्त कर दूसरे स्थान पर थे। 1996 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के श्रीराम सोनकर ने 46938 मत प्राप्त कर विजेता बने थे। बसपा के बनवारी राम 44093 मत प्राप्त कर दूसरे नंबर पर थे। 2002 के विधानसभा चुनाव में सपा के बैजनाथ पासवान ने 52447 मत प्राप्त कर चुनाव जीता था। जबकि बसपा के बनवारी राम 51518 मत प्राप्त कर दूसरे नंबर पर थे। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा के राजेंद्र कुमार ने 42949 मत पाकर समाजवादी पार्टी के बनवारी राम (39387 मत) को परास्त किया था। वर्ष 2012 के चुनाव में सपा के बैजनाथ पासवान ने 52601 वोट पाकर बसपा के राजेंद्र कुमार (49552 मत) हरा कर इस सीट पर कब्जा जमाया था।