अंजनी राय
ऐसे में सूचना के बाद जिले के कोने-कोने से सर्जरी वाले मरीज सुबह ही पहुंच गए। इस दौरान जब वह अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सकों के बारे में कुछ भी पता नहीं चला। दिव्यांग मरीजों के परिजन इधर से उधर घूम कर चिकित्सकों के बारे में पूछते रहे लेकिन कहीं से जानकारी नहीं मिली। हालात थे कि थक-हार कर मरीज अस्पताल परिसर में बैठे रहे पर कोई उनको पूछने वाला तक नहीं था। स्थिति रही कि दोपहर तक जिला विकलांग जन विकास विभाग से भी कोई नहीं पहुंच सका था। ऐसे में दिव्यांग मरीज पूरे दिन हलकान होते रहे लेकिन उनको कहीं से राहत नहीं मिली। अस्पताल के लोग भी इनमें कोई रुचि नहीं ले रहे थे जिससे करीब 50 के संख्या में पहुंचे मरीज भूखे-प्यासे पूरे दिन चिकित्सकों की राह ताकते रह गए। मानवता को तार-तार करने वाले इस तरह के कृत्य को लेकर अस्पताल में आने वाले अन्य लोग भी अस्पताल प्रशासन व विकलांग विभाग को कोसते रहे।
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