भागलपुर बिहार
नियमानुसार जिस दिन व जिस समय डॉक्टर जख्मी की जांच करते हैं, उसी वक्त जांच रिपोर्ट सौंप देनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. इस उदासीनता के कारण जांच प्रभावित हो रहा है. खरीक पुलिस ने अनुसंधानक और नदी थाना प्रभारी ने खरीक पीएचसी प्रभारी सहित वरीय पुलिस पदाधिकारियों से इसकी लिखित शिकायत भी की है. पुलिस का कहना है कि पीएचसी प्रबंधन की उदासीनता और कार्य के प्रति लापरवाही बरते जाने के कारण मारपीट सहित अन्य मामलों का अनुसंधान कार्य बाधित हो गया है.
अनुसंधान में लगाये गये सहायक अवर निरीक्षक रामाधार यादव, खरीक के नदी थाना प्रभारी रामेश्वर पंडित ने बताया कि पीएचसी प्रबंधन की लापरवाही और लालफीताशाही के कारण जख्म जांच प्रतिवेदन (इंज्यूरी रिपोर्ट) समय से नहीं मिल पाती है. इस कारण कई माह से कांड का अनुसंधान बाधित है. कई कांडों में तो पुलिस को इंज्यूरी रिपोर्ट पाने में छह माह से भी अधिक समय लग गये.
डॉक्टर की जांच के साथ ही जारी होनी चाहिए रिपोर्ट : नियमानुसार जिस दिन और जिस समय चिकित्सक जख्मी की जांच करते हैं, उसी समय जख्म जांच रिपोर्ट जारी कर देनी चाहिए. लेकिन, खरीक पीएचसी प्रबंधन जांच रिपोर्ट जारी करने में गंभीरता नहीं दिखायी जाती.
बनाया जाता है बहाना : पुलिस पदाधिकारियों ने कहा कि जब भी इंज्यूरी रिपोर्ट की मांग की जाती है, कोई न कोई बहाना बना दिया जाता है. अस्पताल में कहा जाता है कि संबंधित कर्मी अभी नहीं आया है. कभी कर्मी रहते हैं तो चिकित्सक नहीं और जब चिकित्सक रहते हैं तो कर्मी नहीं. पिछले छह माह से हमलोगों को यही स्थिति झेलनी पड़ रही है.
बार-कार कर रहे शिकायत, नहीं हो रहा समस्या का समाधान : खरीक नदी थान के प्रभारी रामेश्वर पंडित ने कहा कि उन्होंने इस मामले में दो माह पहले खरीक पीएचसी के प्रभारी से षिकायत की थी. सहायक अवर निरीक्षक रामधार यादव ने शुक्रवार को पीएचसी प्रभारी से इसकी शिकायत की.
कहते हैं थानाध्यक्ष
खरीक के थानाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह ने कहा कि खरीक थाना के कांड अनुसंधानकों की शिकायत सही है. इस मामले की शिकायत वरीय पुलिस पदाधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के वरीय पदाधिकारियों से करेंगे.
कहते हैं सीएस
भागलपुर के सिविल सर्जन विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जख्म जांच प्रतिवेदन निर्धारित समय पर नहीं देना गंभीर मामला है. इसके लिए दोषी डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
कहते हैं पीएचसी प्रभारी
पीएचसी प्रभारी डाॅ करमचंद ने कहा कि बेहतर इलाज के लिए भागलपुर भेजे गये मामलों में वहां से ओपिनयन आने के बाद ही जख्म रिपोर्ट देना संभव है. फिर भी जल्द से जल्द जख्म जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने की हमारी कोशिश रहती है. छह माह से कोई भी रिपोर्ट लंबित नहीं है.