भागलपुर बिहार
पिछले साल आठ नवंबर की रात अकबरनगर थाना क्षेत्र में बांका के अमरपुर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष बिरेंद्र कुमार से सरकारी रिवॉल्वर लूटे जाने का मामला सामने आया था. इस मामले में बिरेंद्र कुमार को सस्पेंड कर दिया गया था. जिस तरह से रोड पर पत्थर लगा कर गाड़ी रोक रिवॉल्वर, पैसे और मोबाइल लूटे जाने की उन्होंने कहानी बनायी थी वह शुरुआती जांच में ही संदेहास्पद प्रतीत होने लगा. इस घटना की जांच भागलपुर और बांका पुलिस के जिम्मे दी गयी.
जांच में तेजी नहीं देख भागलपुर के पूर्व डीआइजी वरुण कुमार सिन्हा ने 30 नवंबर को दोनों जिलों के दो डीएसपी के नेतृत्व में टास्क फोर्स का गठन किया. घटना के 100 दिन और टास्क फोर्स के गठन के 78 दिन बाद भी मामले की जांच आगे नहीं बढ़ी. इससे साफ जाहिर हो रहा कि इस मामले को उच्च स्तर पर दबाने की पूरी कोशिश की जा रही. बड़ा सवाल यह है कि क्या कानून और पुलिस की दबिश सिर्फ आम लोगों के लिए है. इतने बड़े मामले की जांच इसलिए नहीं की जा रही कि दोषी एक पुलिसवाला दिख रहा. इस मामले की जांच को किस तरह दबाने की कोशिश की जाा रही है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टास्क फोर्स की टीम को अमरपुर के पूर्व थानाध्यक्ष के घर और ससुराल पूछताछ के लिए जाना था पर अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है.
टास्क फोर्स के गठन के बाद रिमाइंडर भी भेजा गया पर नतीजा कुछ नहीं : मामले की गंभीरता को देखते हुए और जांच की धीमी गति को ध्यान में रखते हुए भागलपुर के पूर्व रेंज डीआइजी वरुण कुमार सिन्हा ने दो डीएसपी के नेतृत्व में टास्क फोर्स गठित किया. टास्क फोर्स का नेतृत्व बांका एसडीपीओ शशि शंकर और भागलपुर के डीएसपी विधि व्यवस्था राजेश सिंह प्रभाकर को सौंपा गया. इसमें छह थानेदारों को शामिल किया गया, जिनमें बांका जिले कटोरिया थानेदार प्रवेश कुमार भारती, सुइया प्रभारी राज कुमार कुशवाहा, फुल्लीडुमर प्रभारी राजेन्द्र कुंवर, अमरपुर प्रभारी अजीत कुमार, मुंगेर जिले के तारापुर प्रभारी ब्रजेश कुमार और भागलपुर के अकबरनगर प्रभारी श्यामल किशोर साह शामिल हैं.
क्या है मामला : अमरपुर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष बिरेन्द्र कुमार ने अकबरनगर थाना में मामला दर्ज कराया कि आठ नवंबर की देर रात उस थाना क्षेत्र में उनकी प्राइवेट गाड़ी काे रोड पर पत्थर डाल कर रोका गया और उनसे सरकारी रिवाॅल्वर, पचास हजार रुपये, उनका एवं उनके प्राइवेट चालक का मोबाइल लूट लिया गया. इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की गयी. जांच में पाया गया कि दोनों का मोबाइल घटना के समय से लगभग पांच घंटे पहले से ही ऑफ था. वैज्ञानिक साक्ष्य बिरेंद्र कुमार द्वारा बनायी गयी कहानी के एकदम विपरीत निकला. पूर्व थानाध्यक्ष द्वारा बताये गये घटनास्थल के पास से ही अगले दिन पत्थर के नीचे से पंद्रह हजार रुपये मिलना और बाद में पास के ही एक आदमी के पास उनके प्राइवेट चालक का माेबाइल बरामद हो जाना मामले को और भी संदेहास्पद बनाने के लिए काफी था. जांच में इस बात की पूरी संभावना जतायी गयी कि उनका रिवॉल्वर पटना या उसके आस-पास ही गायब हुआ उसके बाद से ही उन्होंने मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया.
इस मामले में मैं तो कुछ नहीं बता पाऊंगा. भागलपुर के लॉ एंड ऑर्डर डीएसपी ही कुछ बता सकते हैं. मैं तो बैंक लूट मामले में व्यस्त हूं.शशि शंकर, एसडीपीओ बांका रिवॉल्वर लूट मामले में मैं कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हूं. बांका एसडीपीओ ही इस मामले में कुछ बता सकते हैं. मेरे पास इस मामले की जांच में कोई प्रोग्रेस रिपोर्ट नहीं बताने के लिए. राजेश सिंह प्रभाकर, लॉ एंड ऑर्डर डीएसपी भागलपुर