कार्यशाला में डॉ. एन. एल शर्मा,(पूर्व प्राचार्य बरेली कॉलेज बरेली) ने अपने वक्तव्य में कहा कि गांधी में बौद्ध की करुणा एवं महावीर के आदर्श थे। तथा बुद्ध दर्शन व चिन्तन के विषय मे कहा कि यह त्रासदी है कि बुद्ध को अवतार मानकर याद किया जाता है। पूजा भी जाता है। परन्तु उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने में हम संकोच करते हैं। डॉ. वन्दना शर्मा ने बौद्ध एवं गांधी दर्शन में महिला सशक्तीकरण के पक्ष को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि नारी मुक्ति की बात करें तो हमारी हमारी दशा व दिशा सही होनी चाहिए। इसी क्रम में डॉ. पूर्णिमा अनिल ने बौद्ध एवं गांधी की तुलनात्मक विवेचना करते हुए युवा वर्ग को बौद्ध व गांधी आदर्शों को अपने जीवन में उतारने हेतु प्रेरित किया।डॉ. ए. सी. त्रिपाठी ने प्रारंभिक व प्रायोगिक ज्ञान पर बल दिया। वहीं डॉ. ए. के. गुप्ता ने भारत में गांधीवादी विचारों की प्रेरणा को स्पष्ट किया। डॉ. अभय सिंह ने बुद्ध व गांधी के दो मार्गों मानवता एवं सेवा को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता पर बल दिया। इस सुअवसर पर गाँधी अध्ययन केंद्र की निदेशिका डॉ. प्रीति पाठक द्वारा संपादित “गाँधी दर्शन के विविध आयाम” का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. कनक लता सिंह, सीमा अग्रवाल, अलका शर्मा, सुधा गुप्ता, मीनू गुप्ता, नीलम, पिंकी यादव का सहयोग रहा। डॉ. आशा गुप्ता, डॉ. पूनम सिंह, डॉ सीमा गौतम, डॉ. समन जैदी, डॉ. अनामिका कौशिवा, डॉ रुचि गुप्ता, डॉ. राधा यादव, करिश्मा अग्रवाल, प्रियाली दत्ता, दीपा उपस्थित रहीं। छात्रों में गंगोत्री, रूचि गुप्ता, मानसी गुप्ता, ने विशेष सहयोग किया।
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