प्रह्लाद गुप्ता.
वाराणसी. एक तरफ उत्तर प्रदेश की सरकार कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए तमाम वादे करते है और जनता के लिए तमाम सुविधाएं निकालते है। वही थाने की पुलिस है कि वर्कआउट करने के लिए बेगुनाह को गुनाहगार बनाने पर तुल जाती है। मौजूदा यह मामला वाराणसी के थाना दशाश्वमेघ का है, जहां एक पीड़ित राजेश कसेरा ने आरोप लगाया है की मंगलवार को तीन बजे उसे दूकान पर देवनाथपुरा चौकी इंचार्ज और दरोगा जमुना प्रसाद अपने कई सिपाहियों के साथ उसे पकड़कर थाने पर ले आये और उसको एक कमरे में ले जाकर लाठी डंडे से मारते रहे और कहने लगे की तुम यह कबूल करो की चोरी किये हो वरना तुम्हे पानी में डुबाकर मारेंगे उसने यह जुर्म नहीं किया था तो आखिर कैसे कबुले और ना कबूलने पर उसकी पिटाई करके रात 9 बजे उसे छोड़ दिया गया। पीड़ित ने बताया की बंद कमरे में कुल 5 पुलिस कर्मी मार रहे थे
जब पीड़ित थाने से छूटने के बाद रात में घर गया और अपने पास पड़ोस के लोगो को अपने दर्द की दास्ताँन को बताया तो इलाके के क्षेत्रीय लोग नाराज हो गए और पीड़ित को मंडलीय अस्पताल ले जाया गया उसकी मेडिकल कराया गया और लोगो द्वारा इन्साफ की मांग की गयी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आगे कार्यवाही की तैयारी की जायेगी और इस मुद्दे पर मेडिकल बनाने वाले डॉक्टर ओमप्रकाश से बात की गयी तो उन्होंने बताया की यह जो चोटें आयी है वो चोट आने की वजह लाठी डंडे से मारा गया है और नील पड़ा है।
घटना के सम्बन्ध में क्षेत्रिय चर्चोओ और पीड़ित से बातचीत पर ज्ञात हुवा कि पीड़ित एक घर के सामने छोटी सी दुकान लगा कर अपनी आजीविका चलता है, उस मकान की मालकिन एक लड़की को यह नागवार गुज़रा.वह खुद को जज की बेटी बताते हुवे उसको दुकान हटाने को कह चुकी है. यह घटना भी उसके इशारे पर हु हुई है.