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वाराणसी कैंट – गटबंधन के समर्थक तो एक तरफ ही नज़र आ रहे है

जावेद अंसारी.वाराणसी. शहर के कैंट विधानसभा चुनाव का सभी समीकरण अचानक नामांकन के आखरी दिन बदलता नज़र आया जब गटबंधन के प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव के खिलाफ सपा सरकार की पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री रीबू श्रीवास्तव ने अपना नामांकन सपा के टिकट से कर दिया. इसी के साथ अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया. जितने लोग उतनी बाते सामने आने लगी. जहा रीबू श्रीवास्तव ने नामांकन के उपरांत हमसे बात करते हुवे बताया था कि पार्टी के तरफ से को टिकट मिला और वह पार्टी की प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कि है. वही इस सवाल पर कि आप द्वारा सामने से न आकर पिछले दरवाज़े से आकर नामांकन किया गया को टालते हुवे कहा था कि किसी ने बताया कि  इधर से वकील साहेब कि चौकी नज़दीक है इस वजह से इधर से आ गई. इन सबके बीच चर्चो का बाज़ार चाय पान की दुकानों पर बढ़ गई है जो अभी तक जारी है. ज़्यादातर चर्चोओ के अनुसार यह दबाव की राजनीत हो सकती है. इन सबके बीच रीबू श्रीवास्तव के खुले केंद्रीय चुनाव कार्यालय में बिजली विभाग वालो ने भी छापा मार कर अपनी भी उपस्थिति दर्ज करवाई थी. ये अलग बात है कि विभाग को वहा कुछ भी गड़बड़ नहीं मिला और उनको उलटे पाँव वापस आना पड़ा.

इन सबके बीच गटबंधन के घोषित प्रत्याशी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अनिल श्रीवास्तव द्वारा किसी भी प्रकार कि कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. वह अपने चुनाव प्रचार में बेफिक्री के साथ व्यस्त नज़र आये. उनके प्रचार में गटबंधन के छोटे बड़े नेता दिखाई पड़े. चहरे पर केवल प्रचार कि जद्दोजहद लिए यह नेता बेफिक्री से सिर्फ चुनाव प्रचार में ही व्यस्त नज़र आया. इसी प्रचार में हमने जब उनसे बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने साफ़ साफ़ शब्दों में कहा कि देखिये गटबंधन के अधिकृत प्रत्याशी के तौर पर तो मैं ही हु. और चुनाव मैं ही लड़ रहा हु. वैसे भी आज तक जिसने क्षेत्र में एक भी कार्य नहीं किया है वह भी इस चुनाव में ताल ठोक रहा है. आप स्वयं देख ले हमारे साथ कोंग्रेस के साथ सपा के नेता और कार्यकर्ता कार्य कर रहे है और चुनाव प्रचार कर रहे है आज हमलोग सोनिया, औरंगाबाद, मीरबाग, जद्दुमंदी, लक्सा, रामनगर, नगवा आदि क्षेत्रो में चुनाव प्रचार किया जा रहा है. गटबंधन के अरविन्द किशोर राय, वीरेंदर कपूर, शंकर विश्नानी, रविकांत विश्वकर्मा, रेखा शर्मा, कुलवंत सिंह बग्गा, राजेश रुपानी, अभिषेक सिंह, पवन मौर्या, सुनील श्रीवास्तव आदि साथ में है. अब आप खुद समझ सकते है. मैं किसी और बात पर अथवा मुद्दे पर क्यों चिंता करू. गटबंधन ने मुझको जो आदेश दिया है मैं उसको पूरा कर रहा हु और आगे भी करता रहूँगा. गटबंधन में किसी तरह का कोई विरोध नहीं है. प्रदेश में गटबंधन की सरकार बन रही है और एक सफल सरकार बन रही है.
इन सबके बीच चर्चाओ के गर्म बाज़ार में एक चर्चा उभर कर यह भी आ रही है कि पार्टी में शिवपाल यादव के कमज़ोर पड़ने का एक असर यह भी है. अगर गटबंधन के प्रत्याशी कमज़ोर होते है तो शिवपाल खुद मजबूत होंगे शायद यही कारण है कि गटबंधन के तरफ से मजबूती से लड़ रहे प्रत्याशी पर एक मानसिक दबाव के लिए एक अन्य प्रत्याशी उतारा गया है. जो भी हो गटबंधन के प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव को देख कर ऐसा नहीं लग रहा है कि एक अन्य प्रत्याशी के आने से उनके ऊपर कोई मानसिक दबाव पड़ा हो.
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