करिश्मा अग्रवाल (विशेष संवाददाता)
विधानसभा चुनावों में भाजपा की ‘केसरिया लहर’ ने जहां -जहां अपना भगवा ध्वज फहराया, उनमें से सबसे बड़ी जीत उसे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मिली ,जहां ‘केसरिया तूफान’ अच्छे-अच्छे रसूख वालों को भी ले डूबा । ‘मोदी मैजिक’ ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तो जीता ही साथ ही मणिपुर और गोवा में भी आखिरकार सरकार बना ही ली। लेकिन मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में जहां भाजपा के मुख्यमंत्री का चेहरा साफ हो चुका है ,वहीं भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेकर जो सस्पेंस बना हुआ है ,उनमें सबसे आगे जो चेहरा नजर आ रहा है, वह है – ‘मनोज सिन्हा’ आइए जानते हैं मनोज सिन्हा के जीवन से जुड़े कुछ पहलू :
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा :
1 जुलाई 1959 को, मोहनपुरा गाजीपुर में जन्मे, मनोज सिन्हा ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (BHU) वाराणसी से बी.टेक और एम.टेक की उपाधियां प्राप्त की हैं। 1982 में अपने छात्र जीवन के दौरान, मात्र 23 साल की उम्र में वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विद्यार्थी संघ का चुनाव जीत अध्यक्ष बन गए थे।
निजी जीवन:
1 मई, 1977 को सुल्तानगंज भागलपुर की नीलम सिन्हा ,मनोज सिन्हा की जीवन संगिनी बनी। मनोज सिन्हा के दो बच्चे हैं ।जिनमें से एक पुत्री है ,जिसका विवाह हो चुका है और पुत्र एक टेलीकॉम कंपनी में कार्यरत है ।
राजनीतिक जीवन- एक नजर में :
1989-96:राष्ट्रीय परिषद के सदस्य।
1996 :11 वी लोक सभा हेतु निर्वाचित।
1999 :पुनः 13 वी लोक सभा हेतु निर्वाचित।
1999-2000:योजना तथा वास्तुशिल्प विद्यापीठ की महा परिषद के सदस्य रहे ,एवं शासकीय आश्वासन समिति तथा ऊर्जा समिति के भी सदस्य रहे।
2014 :गाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 16वी लोकसभा (तीसरा सत्र) के लिए निर्वाचित।
26 मई 2014 :से रेलवे के राज्य मंत्री और संचार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) के पद पर कार्यरत।
इसके अतिरिक्त उपस्थिति के उच्च आंकड़ों के साथ, मनोज सिन्हा 13वी लोकसभा के श्रेष्ठतम प्रदर्शन करने वाले सदस्यों में से एक रहे हैं।
व्यक्तित्व:
मनोज सिन्हा अपने संसदीय क्षेत्र में बेहद सक्रिय ,और लोगों से सीधे जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। पार्टी में खासे सक्रिय ,मेहनती और एक साफ-सुथरी छवि के लिए पहचाने जाते हैं । दी गई जिम्मेदारी को पूरी तन्मयता के साथ निभाते हैं,उनके इन गुणों के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनसे खासे प्रभावित रहते हैं।