करिश्मा अग्रवाल (विशेष संवाददाता)
यूं तो आपने कई बड़े-छोटे घोटालों के बारे में जरूर सुना होगा, पर आपको जिस घोटाले के बारे में अब हम बताने जा रहे हैं ,वह अपने आप में बहुत अनोखा है और शायद आपने पहले कभी ना सुना हो। जी हां! क्योंकि यहां हम आपको बता रहे हैं, 27 लाख के एक ऐसे घोटाले के बारे में जो गोबर से जुड़ा है। जी बिलकुल सही समझा जैसे कभी लोग चारा खा गए थे इस बार भ्रष्टाचारी गोबर ही खा गए है. वह भी उस दल के शासनकाल में जो खुद को गैर घोटाले की सरकार कहता है. आईये जानते हैं कि, क्या है यह मसला और कैसे हो सकता है गोबर का घोटाला!
गोबर खाद की खरीद और 27 लाख का घोटाला:
बता दे कि, यह सारा मामला बिलासपुर के वन विभाग से जुड़ा है। दरअसल वन विभाग द्वारा पूरे रेंज हेतु नर्सरी में पौध तैयार की जाती है । जिसके लिए गोबर खाद की आवश्यकता होती है। इसलिए शासन द्वारा गोबर खाद की खरीद हेतु 30 लाख रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी ,जिसमें से वन विभाग के एसडीओ एच.बी. खान द्वारा सक्षम अधिकारी की अनुमति लिए बिना ही ना सिर्फ 27 लाख रुपए में गोबर खाद की खरीद की गई बल्कि ट्रैक्टर और डम्पर से खाद ढुलाई के नाम पर बिल भी बना दिया गया। गड़बड़ी तब सामने आई जब बिल में दर्ज गाड़ी नंबर असल में मोटरसाइकिल का निकला ।यह जानते ही ,वन विभाग में हड़कम्प मच गया और सन् 2012 में ,जब इस घोटाले की खबर शासन तक पहुंची तो , वहां भी इस मामले को किसी तरह जैसे तैसे खामोश कर दिया गया ।
लेकिन ,अब एक बार फिर विधानसभा में उठाए जाने के साथ ही ,ये गोबर खाद घोटाला ,फिर से चर्चा में आ गया है ।ऐसे में शासन ने भी सख्ती दिखाते हुए, आरोपी एसडीओ एच. बी. खान के खिलाफ आरोपपत्र जारी करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है।
सबूत मिटाने के प्रयास हुए तेज :
विधानसभा में मामला गरमाने और आरोप पत्र जारी होने के साथ ही इस मामले से जुड़े सबूतों को मिटाने की साजिश भी शुरू हो गई है ।आपको बता दें कि ,इस मामले की फाइल वन विभाग से हो चुकी है और यह कैसे गायब हुई ,ना तो इसका कोई जवाब देने को तैयार है ,और ना ही इसकी जिम्मेदारी लेने को। तो अब आगे ये देखना दिलचस्प होगा कि, गोबर खाद की खरीद के नाम पर हुए 27 लाख के इस घोटाले की कहानी अब अगला क्या मोड़ लेती है!