इसके अलावे परीक्षा के दौरान क्षेतीय अधिकारियो के उत्पीड़न से बचने के लिए उनकी भी पूजा रुपयो से करनी पड़ रही है। हम नक़ल कराने के पक्षधर नहीं हैं किन्तू विभागीय अधिकारी धन वसूलकर नक़ल कराने को प्रेरित करते हैं। जिन स्कूलों ने धन नहीं दिए है उनके यहाँ परीक्षार्थियों की संख्या मामूली है लेकिन जहाँ धन मिला है वहां जमीं पर बैठाकर परीक्षा दिलाया जा रहा है। जो कार्यवाही स्कूलों पर की जा रही है वह कार्यवाही शिक्षाधिकारियों पर क्यों नहीं की जा रही है। इस प्रकार स्कूल संचालक खर्च धन को निकालने के लिए नक़ल कराकर धन वसूली करना उनकी मज़बूरी है। इस दर्द को नयी भाजपा सरकार को समझनी चाहिए। स्कूलों के संचालकों ने नक़ल कराने में शिक्षाधिकारियों को जिम्मेदार मानते हुए उम्मीद भरी निगाहों से शिक्षाधिकारियों पर ही मुकदमे दर्ज कराने की अपील की है, ताकि भविष्य में ऐसा न हो सके।
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