आफताब फारुकी
इलाहाबाद। महाधिवक्ता भवन व हाईकोर्ट के लिए अधिग्रहीत नजूल भूमि पर कथित अनाधिकृत कब्जा कर बनी मस्जिद को हटाने तथा अतिक्रमण कराने के दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन, एडीए व हाईकोर्ट महानिबंधक से एक हफ्ते में जानकारी तलब की है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला की याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट के पास जी.टी.रोड स्थित नजूल भूमि आजिम अहमद काजमी के बंगले को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट कार्यालय के लिए लिया। काजमी को मुआवजा भी दे दिया गया। 8 हजार वर्ग मीटर कुल जमीन में से चार हजार वर्ग मीटर महाधिवक्ता कार्यालय तथा चार हजार वर्ग मीटर जमीन हाईकोर्ट कार्यालय के लिए दिया गया। इसी जमीन के बीच में 430 वर्ग मीटर जमीन में अवैध रूप से मस्जिद बना ली गयी है और 380वर्ग फीट जमीन पर सड़क बना ली गयी है। 30 दिसम्बर 04 को जिलाधिकारी इलाहाबाद ने रिपोर्ट दी थी कि टीन शेड है मस्जिद नहीं है।
बिना शासन की अनुमति लिये मस्जिद नहीं बनायी जा सकती। 8 जनवरी 16 को एडीएम नजूल ने कहा 17 जुलाई 98 में पट्टा नवीनीकरण के समय कोई मस्जिद नहीं थी। एडीएम नजूल ने कहा कि 17 जुलाई 98 में पट्टा नवीनीकरण के समय कोई मस्जिद नहीं थी। एडीएम नजूल की ही निरीक्षण रिपोर्ट में 6 दिसम्बर 99 को कहा गया कि भूमि पर कोई मस्जिद नहीं है। हाईकोर्ट को यह जमीन दे दी गयी। इसी जमीन में टीन शेड लगाकर कुछ वकीलों ने शुक्रवार की नमाज पढ़ना शुरू किया। बाद में कुछ जज भी नमाज पढ़ने जाने लगे और धीरे धीरे मस्जिद बन गयी है। अधिकारियों की शिथिलता के कारण हाईकोर्ट की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनायी गयी मस्जिद को हटाये जाने की याचिका में मांग की गयी है। याचिका की सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।