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बलिया – होली के मौके पर मिलावट का जहर परोसने की तैयारी

विभागीय अधिकारी चुनाव के बाद मिटा रहे खुमारी
अंजनी राय
बलिया। होली मिलावट का जहर आपकी त्यौहार की खुशियों में खलल डाल सकता है वैसे भी त्योहारों पर तरह-तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं और होली मिलन घर आने वाले लोगो का स्वगात भी अबीर गुलाल और मिठाइयों के साथ किया जाता है। ऐसे में होली से पहले की मिठाईयो की खरीददारी तेजी हो जाती है। लिहाजा मिलावट खोरों का धंधा भी तेजी पकड़ लेता है बस जरूरत है सतर्कता की थोड़ी सी भी लापरवाहों रंग में भंग कर सकती हैं।

शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की आपूर्ति कम हो रही हैं। मगर दूध से बने सामानों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। त्योहारों के समय तो मावा और दूध से बने उत्पादों की मांग और भी विकट हो जाती हैं। दूध की कमी होने के बाबजूद मावा, पनीर और दूध से बने खाद्य सामग्री की कमी बाजार में नही होती है। बाजार से खरीदी मिठाई से आप त्यौहार का मजा तो ले सकते है मगर संभाल के यह मिलावटी निकला तो आप को बीमार भी बना सकता है। ऐसे में होली की उमंग और रंग दोनों फीके पड़ सकते हैं पहले लोग बाजार से मावा खरीदकर घर में गुझिया या अन्य मिठाई बनाते हैं। अब समय के आभाव में लोग बाजार से बनी बनाई गुझिया खरीद लेते है। आज भी बाजार में मावे की मिथिबोर दूध से बने अन्य व्यंजनों की कोई कमी नही है। होली पर अचानक मिठाइयों की माँग बढ़ती हैं उसे हर वर्ष पूरी भी किया जाता है। जगह-जगह दुकाने सजती है और त्यौहार के कई दिनों बाद तक दुकानों पर मिठाइयों का ढेर लगा रहता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि होली पर मिलावटी दूध और मावे से विभिन्न प्रकार की मिठाइयां बाजार में बिकती हैं। जाने अनजाने में हम खुद ही अपनी ओर परिवार के लोगो की जान जोखिम में डाल देते है
ऐसे बनाता है मिलावटी मावा
मिलावटी मावा बनाने के लिए दूध के बजाय दूध पाउडर रसायन, आलू, शकरकंदी, रिफाइंड तेल आदि प्रयोग किये जाते हैं। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए पानी में डिटर्जेंट पाउडर तरल जैल, चिकनाहट लाने के लिए रिफाईड व मोबिल ऑयल एवं एसेंट पाउडर ड़ालकर दूध को बनाया जाता है। यूरिया का घोल व उसमे पाउडर व मोबिल डालकर भी सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है इसमें थोड़ा असली दूध मिलाकर सोखता कागज डाला जाता है इससे बड़े पैमाने पर नकली मावा, पनीर भी तैयार किया जाता है।
ऐसे करे मिलावटी मावे की पहचान
मावे में मिलावट की पहचान आयोडीन जांच या फिर चखकर उसके स्वाद और रंग से की जा सकती है। सामान्य तौर पर आयोडीन की जांच नही कर पाते। असली मावा पानी भर डाला जाए तो वह आसानी से घुल जाता हैं और यदि उसमे मिलावट होगी तो वह पानी भर पूरी तरह से नही घुलेगा। मिलावट मावे में चिकनाहट नाम मात्र की होती हैं।
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