तत्पश्चात कलाकारद्वय द्वारा संबोधन हुआ। इसके बाद डॉ राम शंकर द्वारा गायन की कार्यशाला प्रारंभ की गई ,जिसमें आपने संगीत के महत्व को समझाते हुए प्रारंभिक रियाज स्वर का लगाव स्वर का उच्चारण कैसे होना चाहिए ,प्रयोगात्मक तरीके से उपस्थित लाभार्थियों को बताया। इसके बाद राग भूपाली में विस्तार एवं पारंपरिक रचना इतना जोबन पर मान ना करिए …..! ,जो तीन ताल में निबंध है ,इसको सिखाया। इसके बाद श्री हेम सिंह जी द्वारा,रूप सज्जा पर प्रकाश डालते हुए उसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला गया। रूप सज्जा को किस तरीके से प्रभावी बनाया जाए, इसको प्रयोगात्मक रूप से करके सिखाया गया।धन्यवाद ज्ञापन के साथ डॉक्टर सुरेंद्र कुमार जी ने प्रथम दिवस का समापन किया।
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