ब्यूरो रिपोर्ट
रेलवे और सुरक्षा एक दूसरे के लिए कितने आवश्यक है या किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है देश में लगातार अब आतंकवादी गतिविधियों से रेलवे भी अछूता नहीं रहा है अक्सर ही रेल आतंकवादी घटना की शिकार होती रही है रेल मंत्रालय लगातार रेल की सुरक्षा के लिए समय समय पर अपना प्रयास करता रहता है वहीं दूसरी ओर देखा गया तो रेलवे की सुरक्षा के ऊपर जो खतरा मंडरा रहा होता है उस पर वहां के संबंधित विभाग गौर नहीं करता है अगर संबंधित विभाग सुरक्षा को दृष्टिगत रखता रहता तो शायद आतंकवादी घटना इस प्रकार की नहीं होती
आज आपको कानपुर रेलवे स्टेशन में लगी हुई सुरक्षा की सेंध को दिखाते हैं आज पीएनएन 24 न्यूज़ की टीम कानपुर रेलवे स्टेशन का सुरक्षा का जायजा लेने के लिए गई रेलवे स्टेशन के दोनों छोरो पर आने और जाने वालों की गहन चेकिंग होती है बैग चेकिंग के लिए मेंटल डिटेक्टर लगे हुए लगेज को स्कैन करने के लिए मशीने लगी है जो सुचारु रुप से काम कर रही हैं।
इन सब को देखने के बाद हमारी टीम टहलते हुए प्लेटफार्म नंबर 9 के दूसरे छोर के तरफ चली गई वहां पर कथित माल गोदाम बना हुआ है प्लेटफार्म नंबर 9 पर आने वाली ट्रेनों की रेल पटरी एक ही है मगर उसके दोनों छोर पर प्लेटफार्म बने है यदि हावड़ा छोर से ट्रेन आती है तो इंजन के दाहिने तरफ जा इस स्थान पर होता है जिसको कथित माल गोदाम भी कहा जा सकता है हम इस कथित माल गोदाम के तरफ ही टहल रहे थे कि हमको रेलवे की बाउंड्री में एक सेन दिखाई दी एक बड़ा सा होल रेलवे के चार दिवारी में बना हुआ था यह होल देखने से लग रहा था कि दीवार टूटने से नहीं बना बल्कि इस को खास तौर से बनाया गया है यह कितना होल है कि इसमें से एक इंसान बहुत ही आराम से गुजर सकता है होल के चारों तरफ से प्लास्टर किया हुआ था नीचे एक चटाई बिछी हुई थी एक चौड़ी चारदिवारी के बीच में जमीन सटा यह सुरंग नुमा रास्ता बहुत कुछ बयान कर रहा था हम अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए होल के अंदर झांक करके देखा जो पीछे किसी दुकान की तरफ निकल जाता है हम बाहर निकल कर दुकान की तरफ से या दुकान अवैध अतिक्रमण के तरीके से टट्टर की बनाई हुई थी जिसके चारों तरफ से कपड़े और प्लास्टिक लगाकर के अंदर की गतिविधियों को ढका गया था हमारी कौतूहलता बढ़ती जा रही थी हमने इसके आसपास लोगों से ऐसे ही बातचीत करके उसका कारण जानना चाहा सूत्रों की माने तो इस होल से अवैध तस्करी के सामान भी इधर उधर होते हैं यहां तक की उस दुकानदार के परिचित जानने पहचानने वाले बिना टिकट आने के बाद किसी एक विशेष मार्ग का प्रयोग करते हैं
हम इसकी और गहराई में जाना चाहते थे हमने आसपास पता किया तो पता चला इस दुकान का मालिक एक राहुल करके है जो रेलवे स्टेशन पर अवैध पानी की सप्लाई करता है और उसके 30 से 35 अवैध वेंडर रेलवे स्टेशन पर आपनी कार गुजारी करते हैं राहुल के बारे में और पता करने पर ज्ञात हुआ कि एक कथित पत्रकार हकला का वर्द हस्त इस राहुल को ऊपर है इसके अतिरिक्त राहुल अवैध वेंडरों से प्लेटफार्म पर और लंबी दूरी की ट्रेनों में बिकवाता है सूत्रों की माने तो इसमें अपना नेटवर्क इतना तगड़ा कर रखा है कि अपने अवैध वेंडिंग के कारोबार के लिए इसने एक मैनेजर तक रख रखा है कल्लू नाम के इस मैनेजर का काम अवैध वेंडरों से हिसाब किताब लेना है पानी की अवैध सेंटर इन खानों की अवैध वेंडिंग और सड़े गले फलों की अवैध वेंडिंग उदाहरण के तौर पर कटे हुए फल रेलवे स्टेशन पर बेचना अथवा ट्रेन में बेचना अपराध की श्रेणी में आता है मगर यह रेलवे स्टेशन पर खुल्लम खुल्ला पीले पपीता को छीलकर के ट्रेनों में ₹10 का एक बेचा जाता है अब दोनों के बीच का फर्क समझ ले यह बड़ा लंबा खीरा पीला हो चुका होता है जिस’की मार्केट वैल्यू सिर्फ एक रुपए होती है इस एक रुपए के खीरे को यह अवैध वेंडर छिल कर उससे नमक डालकर ₹10 में बेचा जाता है 9 रुपए का मुनाफा ये अवैध वेंडर यात्रियों के सेहत को नुकसान पहुंचा कर कमाते हैं
के संबंध में दिया हमने जीआरपी कानपुर से संपर्क करना चाहता जीआरपी के इस्पेक्टर सतीश गौतम से जब हमने बात किया तो उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र के बाहर का इस मुद्दे को बताया और कहा कि हमारा कार्य केवल जहर खुरानी जैसे आप रात को रोकना है यह काम आरपीएफ का है वही आर पी एफ के स्पेक्टर राजू वर्मा से बात ही ना हो पाए उन्होंने मीटिंग में होने का की बात कहकर फिर कभी मुलाकात करने को कहा और कोई ज़िम्मेदार इस पर जवाब देने को तैयार न हुआ।
अब एक बड़ा सवाल यह है कि रेलवे की सुरक्षा में कितना बड़ा भूल हो गया और रेलवे की सुरक्षा में लगे हुए जीआरपी और आरपीएफ को इसकी सूचना ही नहीं है यह कैसे संभव है जबकि आरपीएफ और जीआरपी के जवानों की रेलवे स्टेशन पर चप्पे-चप्पे पर गेस्ट होती रहती है यदि जीआरपी आरपीएफ इस बात से इंकार करती है उसको इतना बड़ा होल नहीं दिखाई दिया तो फिर इस गस्त से ही प्रश्नचिंह उठता है या फिर ऐसा कहा जाए कि यह गस्त केवल कंधों पर हो रही है तो कोई अतिश्योक्ति तो ना हो पाएगा क्योंकि अगर जी आरती और आरती आप लगातार कष्ट कर रही है तो फिर कितना बड़ा होल जिसको बनाने में पूरा दिन का समय लगा होगा आप पूरे दिन हो रहा है इस काम को गति में चल रहे सिपाही और अधिकारियों के नजर में नहीं आया यह कहां से मुमकिन है इसके अलावा लंबे समय से बने एक विशेष रास्ते पर अभी तक इन पुलिसकर्मियों की नजर नहीं पढ़ी या बाद गले से नीचे नहीं उठाती है वही आस पास के क्षेत्र में चर्चाओं को अगर आधार माना जाए तो इस सुरक्षा में सेंध के बदले जी आरती और आती आपको अच्छा फायदा मिलता है हमें आप पर किसी प्रकार का कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं बस जो प्रश्न हमारे समझ से बाहर हो रहा है भैया वाया है कि कितनी बढ़ी सुरक्षा में सेंध को आखिर क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है अखिलेश राहुल नाम के दुकानदार से वेल के सुरक्षा में लगे अधिकारियों को कौन सा फायदा है आखिर एक टिप्पणी अवैध फैक्ट्री कहां से हो रही है इसकी क्यों रोकथाम नहीं हो पा रही है प्रश्न तो बहुत है अब देखना है कि नई सरकार में रेल अधिकारियों को ऊपर कोई ऐसा कौन सा भी है या फिर रेलवे के लिए सुरक्षा में लगे हुए अधिकारी किसी बड़ी घटना दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं।
PNN24 न्यूज़ के लिए समीर मिश्रा, मोहम्मद नदीम, दिग्विजय सिंह और निजामुद्दी