वीनस दीक्षित / अज़हरुद्दीन “जावेद”/अनुपम राज
वाराणसी। शराब के खिलाफ आज फिर महिलाओ ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया. इस लगातार आज दुसरे दिन महिलाओ ने शराब के खिलाफ प्रदर्शन किये. प्रदर्शन इतना ज़बरदस्त हो रहा है कि इन महिलाओ के डर से शराब व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों में एक दहशत बनी हुई है. इस दहशत का ही नतीजा था कि शराब के दुकानदारो ने तोड़फोड़ के डर से दुकाने बंद रखी. महिलाओ के प्रदर्शन का खौफ ऐसा रहा कि पुलिस प्रशासन भी लगभग मूकदर्शक बना रहा.वही शराब के कारोबारियों में दहशत रही और दुकाने बंद रखी गई थी.
जहा इस प्रदर्शन में महिलाये सशक्त रूप से सडको पर रही और लाठी डंडे से लैस होकर आज शिवदासपुर में चक्काजाम किया और जमकर नारेबाजी किया. इस प्रदर्शन का खौफ इस कदर था कि शराब के अलावा भी अन्य दुकानदारो ने अपनी दुकाने नहीं खोली, उनको डर था कि कही तोड़ फोड़ न हो जाए और उस तोड़ फोड़ के ज़द में उनकी दुकाने भी न आ जाए. वही दूसरी तरफ पुलिस हर हालात से निपटने के लिए तैयार थी.
इधर शराब व्यवसाय से जुड़े लोगो का कहना है कि महिलाओं के आंदोलन के पीछे बड़ी साजिश है। शराब के ठेकेदारों ने बातचीत में यह चर्चा रही कि सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए कुछ लोग इस तरह के आंदोलनों को बढ़ावा दे रहे है। हमने दुकानों को चलाने के लिए यूपी सरकार से लाइसेंस लिया है। जिसके बदले फीस चुकाई है। कानून के दायरे में रहकर शराब बेची जा रही है। फिर भी अगर किसी को आपत्ति है तो वो कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। ठेका मालिको के मुताबिक इन महिलाओं के आंदोलन के पीछे एक बड़ी साजिश है।
आन्दोलन या फिर साजिश ?
ऐसा नहीं है कि दूकान आज अचानक खुली है जिसका पता लगते ही महिलाओ ने हंगामा कर दिया है. इसके उलट दुकाने तो पहले से व्यवसाय कर रही है. आज अचानक इस प्रकार से महिलाओ का सडको पर उतरना कुछ अन्य तरफ इशारा कर रहा है. चाय पान की दुकानों पर चर्चाओ के अनुसार एक जनप्रतिनिधि इस तरह के आंदोलन को हवा दे रहे हैं और स्थानीय महिलाओं को भड़का रहे हैं। वही ठेका मालिको के दिमाग में यह भय व्याप्त है कि पुलिस प्रशासन भी हमारी मदद नहीं करेगा।
वही दूसरी तरफ शराबबंदी को लेकर होने वाले इस आन्दोलन से पुलिस प्रशासन के भी होश उड़े हुए हैं। प्रशासन अपनी साख बचाने के लिए हर तरह से कटिबद्ध है मगर महिलाओ से जुड़ा प्रकरण होने के कारण पुलिस के भी हाथ काफी बंधे हुवे है. फिर भी पुलिस अधीक्षक (नगर) राजेश यादव ने कहा है कि शराबबंदी के नाम पर किसी को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। अगर शराब को लेकर किसी को आपत्ति है तो वह कानून का दरवाजा खटखटा सकता है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि उनके पास अभी तक किसी तरह की तहरीर नहीं मिली है, अगर कोई लिखित शिकायत आती है तो जरुर कार्रवाई की जाएगी। वहीं जिला आबकारी अधिकारी वाई.आर यादव ने कहा कि जानबूझ कर ठेका मालिकों को टारगेट किया जा रहा है। सभी दुकानों को पास लाइसेंस हैं, ऐसे में तोड़फोड़ करना गैर कानूनी है।
ज्ञातव्य हो कि शराबबंदी के खिलाफ महिलाओं के आंदोलन शहर में बुधवार से ही हो रहा है जिसके सम्बन्ध में चर्चाओ का बाजार गर्म है। बुधवार को महिलाओं ने मंडुवाडीह और चांदपुर में शराब ठेके पर जमकर तोड़फोड़ किया था। यही नहीं चर्चाओ के अनुसार कुछ ठेकों को लुटने की भी कोशिश की गई है। महिलाओं का आरोप है कि स्थानीय पुलिस पैसे लेकर 24 घंटे शराब के ठेकों को खुलवाए रखती है। जबकि शराब कारोबारी और पुलिस का कहना है कि दुकाने निर्धारित नियमो पर ही चलती है और समय से पुर्व न खुलती है और न ही बंद होती है. जब हमने इस सम्बन्ध में महिलाओ से बात कि और उनसे कहा कि क्या इसका कोई साक्ष्य है तो महिलाओ का कहना था कि आप खुद आकर देखे जबकि वास्तु स्थिति में स्थानीय नागरिको का कहना कुछ और ही है कि शराब बंदी के नाम पर राजनैतिक रोटी सेकना मुख्य मुद्दा बना हुआ है. दूसरी ओर इस आंदोलन को लेकर तरह-तरह की चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि महिलाओं के आंदोलन को एक स्थानीय जनप्रतिनिधि बढ़ावा दे रहे हैं।